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________________ २६८ श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंग्रहे शतक १२.-उद्देशक ४. णुपोग्गले, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति; एगयो तिपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति; एवं जाव-अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपए सिए खंधे भवति; अह्वा दो संखेजपएसिया खंधा भवंति; तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवइ, एवं जाव-अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंति; अह्वा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंति एवं जाव-अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंति; अहवा तिन्नि संखेजपएसिया खंधा भवंति; चउहा कजमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ तिप्पएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति, एवं जाव-अहह्वा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंति जाव-अहवा एंगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दसपएसिए खंधे एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिन्नि संखेजपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिन्नि संखेजपएसिया खंधा भवंति; जाव-अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ तिन्नि संखेजपएसिया खंधा भवंति, अहवा चत्तारि संखेजपएसिया खंधा भवंति एवं तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध थाय छे सं०. अथवा एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ एक संख्यातप्रदेशिक स्कंध थाय छे. सं० अथवा एक तरफ एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध थाय छे. सं०. ए प्रमाणे यावद् एक तरफ दशप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. :::: सं०]. अथवा बे संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. सं० सं०]. तेना त्रण विभाग करवामां आवे तो एक तरफ बे परमाणुओ अने एक तरफ एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. सं०]. अथवा एक तरफ एक परमाणु, एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. 1: सं०. अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. सं०]. अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक तरफ एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे.| -11 ... सं०. ए प्रमाणे यावत्-अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक तरफ दश प्रदेशिक स्कन्ध अने एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. सं०. अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, अने एक तरफ बे संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे..||सं० सं०]. अथवा एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ बे संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. [ सं० सं०. ए प्रमाणे यावत्-अथवा एक तरफ एक दशप्रदेशिक स्कन्ध अने बे संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. EEE सं० सं०. अथवा त्रण संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. तेना चार भाग करवामां आवे तो एक तरफ त्रण परमाणुपुद्गलो, अने एक तरफ एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. सं०. अथवा एक तरफ बे परमाणुपुद्गलो, एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. सं०]. अथवा एक तरफ बे परमाणुओ, एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, अने एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. | •|| . ... .. ए प्रमाणे यावद्-अथवा एक तरफ बे परमाणुओ, एक तरफ दशप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. | | सं०. अथवा एक तरफ बे परमाणुओ अने एक तरफ बे संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. | |सं० सं०/. अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने बे संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. ना .म. सं०. ए प्रमाणे यावद्-अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक दश प्रदेशिक स्कन्ध अने बे संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे.| सं० सं०. अथवा एक परमाणुपुद्गल अने त्रण संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. सं० सं० सं०]. अथवा एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने त्रण संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे... सं० सं० सं०]. ए प्रमाणे यावद-अथवा एक तरफ एक दश प्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ त्रण संख्यातप्रदेशिक स 10] सं० [सं० . अथवा चार संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. सं० सं०] [सं० || सं० ए प्रमाणे एक्रमथी पंचसंयोग पण कहेवो; यावत् नव संयोग सुधी कहे. तेना दश विभाग करवामां आवे तो एक तरफ नव परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. मागा सं ०. अथवा एक तरफ आठ परमाणुपुद्गलो, एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध अने एक तरफ संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. || |||||||| सं०. अथवा एक तरफ आठ परमाणुपुद्गलो, एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004642
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages422
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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