SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 287
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शतक १२.-उद्देशक ४. भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र. २६५ भवइ, अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एंगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवद अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपदेसिया खंधा, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एग: प्रो दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहंवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिन्नि दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा पंच दुपएसिया खंधा भवंति; छहा कजमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, पगयओ चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति: सत्तहा कजमाणे एगयओ छ परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा पगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिनि दुपएसिया खंधा भवंति; अट्टहा कजमाणे एगयओ सत्त परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ छ परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपपसिया खंधा भवंति; नवहा कजमाणे एगयओ अट्ठ परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवति । दसहा कजमाणे दस परमाणुपोग्गला भवंति ।। १०. [प्र०] संखेजा णं भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहन्नति, एगयओ साहणित्ता किं भवति? उ० गोयमा! संखेजपएसिए खंधे भवति । से भिजमाणे दुहाऽवि, जाव-दसहाऽवि संखेजहाऽवि कजति । दुहा कजमाणे एगयओ परमा त्रिप्रदेशिक स्कंध; अने एक चतुष्पदेशिक स्कंध होय छे. . अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ त्रण त्रिप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. 1 . अथवा एक तरफ त्रण द्विप्रदेशिक स्कन्धो अने एक तरफ एक चतुप्रदेशिक स्कंध होय छे... B. अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ त्रण त्रिप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. III...I...I. अथवा एक तरफ बे द्विप्रदेशिक स्कन्धो अने एक तरफ वे त्रिप्रदेशिक स्कन्धो होय . . . तेना पांच विभाग करवामां आवे तो एक तरफ चार परमाणुपुद्गल अने एक तरफ एक छप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. :::. अथवा एक तरफ त्रण परमाणुपुद्गलो, एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ एक पंचप्रदेशिक स्कंध होय छे. . . अथवा एक तरफ त्रण परमाणुपुद्गलो, एक तरफ एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध अने एक चतुष्प्रदेशिक स्कंध होय छे. मा. अथवा एक तरफ बे परमाणुओ, एक तरफ बे द्विप्रदेशिक स्कन्धो अने एक तरफ एक चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध होय छे. | E D. अथवा एक तरफ बे परमाणुपुद्गलो, एक द्विप्रदेशिक स्कंध अने एक तरफ बे त्रिप्रदेशिक स्कन्धो होय छे.||||| ... .... अथवा एक तरफ परमाणुपुद्गल, एक तरफ त्रण द्विप्रदेशिक स्कन्धो अने एक तरफ एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. नाबा.... अथवा पांच द्विप्रदेशिक स्कन्धो होय छे.... .. . तेना छ विभाग करवामां आवे तो एक तरफ जूदा पांच परमाणुओ अने एक तरफ एक पंचप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. | अथवा एक तरफ चारपरमाणुपुद्गलो, एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध तथा एक तरफ एक चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध होय छे. नाना-ME. अथवा एक तरफ चार परमाणुपुद्गलो, अने एक तरफ बे त्रिप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. नानाजान. अथवा एक तरफ त्रण परमाणुपुद्गलो, एक तरफ बे द्विप्रदेशिक स्कन्धो अने एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. | ना .... अथवा एक तरफ बे परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ चार द्विप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. | • IT. . तेना सात विभाग करवामां आवे तो एक तरफ छ परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ एक चतुःप्रदेशिक स्कन्ध होय छे.. 1 . अथवा एक तरफ पांच परमाणुओ अने एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध तथा एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. | TRI ... अथवा एक तरफ चार परमाणुओ, अने एक तरफ त्रण द्विप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. | L I.I... तेना आठ विभाग करवामां आवे तो एक तरफ सात (जूदा ) परमाणुओ अने एक तरफ एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. || |||||...]. अथवा एक तरफ छ परमाणुओ, अने एक तरफ बे द्विप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. || |. 1 तेना नव विभाग करवामां आवे तो एक तरफ आठ परमाणुओ अने एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. . I I I II ... अने जो तेना दश विभाग करवामां आवे तो जुदा दश परमाणुओ थाय छे. II I . १०. [प्र०] हे भगवन् ! संख्याता परमाणुओ एक साथे मळे अने एक साथे मळीने तेनुं शुं थाय ? [उ०] हे गौतम! तेनो संख्याता संख्याता परमाणुओ प्रदेशनो स्कन्ध थाय. जो तेनो भेद-विभाग थाय तो तेना बे, यावत् दस के संख्याता विभाग थाय. जो तेना बे भाग करवामां आवे तो एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004642
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages422
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy