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________________ ११ शतक ११ उद्देशक ७, पृ० २१९. शतक ११ उद्देशक ८. पृ० २२०. शतक ११ उद्देशक ९. पृ० २२१-२२७. हस्तिनापुर. – शिवराजा. – शिवभद्रपुत्र. - शिवराजानो संकल्प - शिवभद्रनो राज्याभिषेक. – शिवराजनी प्रव्रज्या - शिवराजर्षिनो अभिप्रह . शिवराजर्षिने विभंगज्ञान. – शिवराजधिंनो 'सात द्वीप भने सात समुद्र छे' एवो अध्यवसाय. - शिवराजर्षिसंमत सात द्वीप अने सात समुद्रसंबन्धे प्रश्न.यदिरहित बने वर्णदिसहित] इज्यो समुद्रमां इस्यो पातकिडयां दन्यो. शिवराजतुं कथन यथावी. असंख्यात द्वीपसमुद्रो छे' बुं महावीरखामीतुं कथन – शिवराज शंकित शिवराजर्थितो महावीर खामी पाछे आश्वानो शिवराजपितुं महावीरस्वामी पाने आगमन राज कर्णिका... नलिन. शतक ११ उद्देशक १० पृ० २२८-२३३. - - - लोकना प्रकार. — क्षेत्रलोकना प्रकार. — अधोलोकक्षेत्रलोकना प्रकार. – तिर्यक्क्षेत्रलोक. ऊर्ध्वलोक क्षेत्रलोकना प्रकार. – अधोलोकनुं संस्थान. - तिर्यग्लोकनुं संस्थान. – ऊर्ध्वलोकनुं संस्थान - लोकनुं संस्थान. - अलोकनुं संस्थान --- शुं अधोलोक : जीवरूप छे- इत्यादि प्रश्न. शुं तिर्यग्लोक जीवरूप छेइत्यादि प्रश्न. – शुं अलोकाकाश जीवरूप छे- इत्यादि प्रश्न. -शुं अधोलोकना एक आकाशप्रदेशमां जीवो छे- इत्यादि. - तिर्यग्लोकना एक आकाशप्रदेशम झुंगीयो इयादिना एक आकाश प्रदेशमां जीवो होय ? अोकना एक आकाश प्रदेशमा जीयो होय ! इन्यादिनी अपेक्षाए अधोकोका दिनो विचार. - लोकनो विस्तार. - अलोकनो विस्तार - लोकना एक आकाशप्रदेशमां जीवना प्रदेशो परस्पर संबद्ध छे अने एक बीजाने पीडा उत्पन्न करे ?एक आकाशप्रदेशमां जघन्य अने उत्कृष्ट पदे रहेला जीवप्रदेशो तथा सर्वजीवोनुं अल्पबहुत्व. शतक ११ उद्देशक ११. पृ० २३४ - २४७. --- वाणिज्यग्राम - दूतिपलाशक चैत्य. - काळना प्रकार. – प्रमाणकाळ. - हस्तिनागपुर. – बलराजा. -- प्रभावती राणी. बासगृह. - शय्या. - महास्वकोई प्रभावती नाग सहनुं वर्णन सिंहने मां जोईने जांगी. राजानुं शयनगृहतरफ आसमनुं फल प्रभावती देवी समन 'फलने स्वीकारे छे. व्यायामशाळा अने स्नानगृह प्रवेश. - खप्नपाठकोने बोलाववानी आज्ञा. —खप्रपाठकोने खमना फलनो प्रश्न. - गर्भनुं रक्षण. पुत्रजन्म. - वधामणीपुत्रजन्ममहोत्सव पुत्रनुं नाम पाठ पांच भाव पडेनुं पाउन मद्दास कुमारने भणमा गोलको मद्दाबनुं पायि प्रीतिदान, - धर्मघोष अनगारनुं आगमन. - महाबलनुं वंदन करवा माटे जनुं दीक्षानी रजा मागवी. महाबलकुमारने राज्याभिषेक अने दीक्षा. - ब्रह्म देवलोकमा उप अने लांबीच्या सुदर्शन उपदर्शन ने विस्मरण सुदर्शन प्रवज्या आलमकानगरी स्थिति देवोनी स्थिति - Jain Education International फांसने बोला ना धावतीनगरी प्रमुख अमणोपासको शंसनी उपला श्री. पुष्कवि अमनोरानो संकल्प अशनादिनो आहार करता पाक्षिक वो मने करनी भोजन माटेोपासक बोयया योग्य आदानो 'लेता पोषधनुं पालन करवुं मने योग्य नथी. शंखनो महावीरखामिने वंदन करवानो संकल्प — शंख भगवंतने वंदन करवा जाय छे. बीजा श्रममोपासको पण चांदवा जाय छे.- शंखनी निन्दा न करो. - जागरिकाना प्रकार. - क्रोधथी व्याकुल थयेलो जीव शुं बांधे ?-मानी जीव शुं बांधे ? - शंख प्रव्रज्या प्रहण करवा समर्थ छे ? आस्वाद - - शतक ११ उद्देशक १२. पृ० २४८. पनवेल ऋषभप्रमुख मनोराको धमनोरांसकोनो वाठोडा — देवलोकमां देवोनी स्थिति स्थित मिपुत्र अरिपने समर्थ के ? ऋषिमद्र पुत्र देवलोकी व्ययी क्यों न ? - सिद्विपद पायशेत - शतक १२ उद्देशक १. पृ० २५२-२५६. - शतक १२ उद्देशक २. पृ० २५७-२६०. - कौशाम्बी नगरी – उदायन राजा. - जयंती श्रमणोपासिका - जयंती मृगावतीसहित भगवंतने वंदन करवा जाय छे. जयंतीना प्रश्नो. - जीवो शाथी भारेपणुं पामे ?-भव्यपणुं खाभाविक छे के परिणामजन्य छे ? - सर्व भव्यजीवो मोक्ष जशे ? -- तो शुं लोक भव्यरहित थशे ? - सूतापणुं सारं के जागताप खासा पासा के करेगी प्रयाण करी पागेन्द्र - शतक १२ उद्देशक ३० पृ० २६१. पृथिवीओना प्रकार. प्रथम पृथिवीना नाम अने गोत्र. ये परसा एकरूपे एकाचा परमाणु परमाभी, दस परमाओ परिवर्तन प्रकार रमिकोने परिवर्त शतक १२ उद्देशक ४. पृ० २६२ - २७४. परमाणुओ. चार परमाणुओं परमाशुओं, रात परमाणुओं साड वाला परमाणुओ. असंख्याता परमा अनन्त परमाणुओ-अनन्तानन्त पुलपरिवतोंएक गैरविधने औदारिपरिवतो. असुरकुमारने ओदारिक परिवर्ती एक नै - - - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.004642
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages422
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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