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नवमो उद्देसो ।
१. [०] कवि णं भंते! बंधे पण्णत्ते ? [उ०] गोयमा ! दुविहे बंधे पन्नत्ते, तं जहा-पयोगबंधे य वीससाबंधे य । २. [प्र० ] वीससाबंधे णं भंते ! कतिविद्दे पण्णत्ते ? [अ०] गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - सादीयवीससाबंधे अणादीयवीससाबंधे य ।
३. [प्र० ] अणादीयवीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? [अ०] गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा - धम्मत्थिकायमनमन्त्रणाइयवीससायंधे, अधम्मत्थिकायणप्रमन्त्रअणादयचीससार्वधे, आगासत्विकाय अश्रमन्नमणाईयपीसाबंधे ।
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४. [ प्र० ] धम्मत्थिकाय अन्नमन्न अणादीयवीससाबंधे णं भंते! किं देसबंधे, सवबंधे ? [ उ०] गोयमा ! देसबंधे, नो सङ्घबंधे । एवं अधम्मत्थिकायअन्नमन्नअणादीयवीस साबंधे वि एवं आगासत्थिकायअन्नमन्नभणादीयवीससाबंधे वि ।
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५. [२०] धम्मत्थिकायअन्नमन्नअणादीयवीससाबंधे णं भंते! कालओ केवश्चिरं हो? [४०] गोयमा सङ्घ एवं अथम्मत्यिकार एवं आगासत्विकार वि।
नवमी उद्देशक.
१. [प्र०] हे भगवन् ! बन्ध केटला प्रकारनो को छे [30] हे गीतम! बन्ध मे प्रकारगो को छे, ते आ प्रमाणे- प्रयोगदन्ध नेविसावन्ध
२. [ प्र० ] हे भगवन् ! विस्रसाबन्ध केटला प्रकारनो कह्यो छे ? [उ०] हे गौतम! बे प्रकारनो कह्यो छे, ते आप्रमाणे - विसाबन्ध अने अनादि वित्रसाबन्ध.
४. [ प्र० ] हे भगवन् ! धर्मास्तिकायनो अन्योन्य अनादि विस्रसाबन्ध देशबन्ध छे के सर्वबन्ध छे ? [उ०] हे गौतम! *देशबन्ध छे, पण सर्ववन्ध नथी. ए प्रमाणे अधर्मास्तिकायनो अन्योन्य अनादि विसावन्ध जाणवो एवी रीते आकाशास्तिकापनो अन्योन्य अनादि विसावन्ध जाणो.
३. [प्र०] हे भगवन् ! अनादि विस्रसाबन्ध केटला प्रकारनो कह्यो छे ? [उ०] हे गौतम! त्रण प्रकारनो कह्यो छे, ते आ प्रमाणे अनादि विज्ञसाबन्ध-धर्मास्तिकायनो अन्योन्य अनादि निसाबन्ध, अधर्मास्तिकायनो अन्योन्य अनादि विससायन्ध अने आकाशास्तिकायनो पण अन्योन्य अनादि वित्रसाबन्ध.
५. [ प्र० ] हे भगवन् ! धर्मास्तिकायनो अन्योन्य अनादि विस्रसाबन्ध कालथी क्यां सुधी होय ! [उ०] हे गौतम! सर्व काल सुधी होय छे. ए प्रमाणे अधर्मास्तिकाय अने आकाशास्तिकायनो अन्योन्य अनादि सिसाबन्ध जाणवो.
४. धर्मास्तिकायना प्रदेशोनी पीना देशो साये परस्पर संबन्ध ते देशवन्ध, परन्तु तेनो सर्वबन्ध नवी जो तेनो सर्वधन्य होय तो एक प्रदेश बीजा सर्व प्रदेशोनो अन्तर्भाव थाय अने तेथी धर्मास्तिकाय एक प्रदेशरूप याय-- टीका.
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बन्ध.
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विनसाबन्ध..
धर्मास्तिकायनो अनादि विनसा देशवन्ध.
अनादि विश्वसा बन्धनी काल.
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