SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३. ..भगवत्सुधर्मस्वामित्रणीत भगवतसूत्र. :३ C लवण समुद्र भरती ओ ६. [ बाणा जीवे पहुंच सम्बद्धं की ] सूपां सर्वाद्वाभाषी प्रमादपरता अने अप्रमादपरताने सूची है. हमे सदा माथी या मीना * पदार्थोंनुं निरूपण करवा कहे छे के, [ मंते' इत्यादि. ][ अतेरे ' [ बीजी तिथिनी अपेक्षा बधारे, [सदेवता यत्ति ] जीवाभिगमः सूत्रमां कहली लवण समुद्र संबंधी वक्तव्यता कहेवी. क्यां सुधी ? तो कहे छे के, [' जाब-लोयट्टिई ' इत्यादि. ] ए जीवाभिगम सूत्रमां कहली लवणसमुद्र संबंधी वक्तव्यता आ प्रमाणे छे:-" हे भगवन् ! चतुदेशी विगेरे तिथि ओमां लवण समुद्र वधारे कम वधे छे ? अथवा बचारे के घंटे (उत्तर) समुद्री व चारे दिशाओ चार मोटा पाताळ शो के अने ते माप ताम्र योजन (प्रमाण) छे. तनी मीचला त्रिभागमां वायु छे, बचलामां पाणी अने वावु छे अने उपरना भागमां तो पाणी है तथा बीजा पाताळ फळ पण छे गेलो नाना यवनुं कार (इ) छे, तेनुं माप हजार योजननुं छे तथा तेती संख्या ७८८४ के. ते बना पण बायु गरेधी युक्त त्रिभागवाळा हे तंत्रना बावोमीण समुद्रम पाणीनो वधारो अने घटाडो अष्टमी वगेरे तिथिओमां थाय छे. तथा लवण समुद्रनी शिखानो विष्कंभ दश हजार योजन छे अने तेनी उंचाइ सोळ हजार योजन छे तथा उपर अडयो योजग पाणीमो बधाशे अने घटाडो थाय छे " इत्यादि. पण समुद्र, जंबुद्वीप के पावतो थी ?. ( उत्तर-) अर्हत वगेरेना प्रभावथी अथवा एवी ज लोकनी स्थिति छे. ए ज वातने कहे छे के, [' लोयडिइ 'त्ति ] लोकनी व्यवस्थ एवीज छे. [' लोयाणुभावे 'त्ति ] लोकनो प्रभाव एवो छे. बेडारूपः समुद्रेऽखिलजलचरिते क्षारभारे भवेऽस्मिन् दायी यः सद्गुणानां परकृतिकरणाद्वैतजीवी तपस्वी । अस्माकं वीरवरोऽनुगतनरवरो बाहको दान्ति शान्योः दयात् श्रीदेवः खं मारा चामुख्यः ॥ १. श्रीजीवाभिगमसूत्रमां लवणसमुद्र विषेनी हकीकत आ प्रमाणे :कम्हा णं भंते! लवणसमुद्दे चाउद्दस मुद्दि - पुण्णिमा सिणीसु अतिरेगं वति वा? हायति वा ? > 3 गोवमा बुद्दीवर उदिखि बाहिरिहाओ तास पंचाणउर्ति जोयणसहस्साई ओगाहिता एत्थ णं चत्तारि महालिंजर ( महा रंजर ) संटाणसंठिया, महइनहालया महापायाला पण्णत्ता. तं जहा:बलयामुद्दे, केतूए, जूवे, ईसरे. ते णं महापाताला एगमेगं जोयणसयसहस्सं उब्वेहेणं, मूले दस जोयणसहस्याई विक्संभणं, मज्जे एगपदेलियाए सेडीए एमेजण उपरिं मुदमुजे दसजोयस हस्साइं विक्लमेणं. तेसि णं महापायालाणं कुड्डा सम्वत्थ समा दसजोयण सतबादला पण्णत्तः सव्वन इरामया, अच्छा जाव पडिवा. तत्थ णं बहवे जीवा, पोग्गलाय अवक्कनंति, विउक्कमंति, चयंति, उपचयंति - सासया णं ते कुड्डा दव्बट्टयाए, वण्ण-पज्जवेहि असासया. तत्थ णं चत्तारि देवा मदिढोया जान पलिशोषमडिया परिवर्तति से जड़ा फासे महाकाले वेलने, पभंजणे. तैसि णं महापायालाणं तओ तिभागा पण्णत्ता, तं जहा-देहिले तिभागे, मज्झिले तिभागे, उपरि तिभागे. ते णं तिभागा तेत्ती जोयणसहस्सा, तिष्णि य तेत्तीस जोयणसतं जोयणतिभागं च बाइलेणं. तत्थ णं जे से देद्रिले तिभागे एत्थ णं वाउकाओ संचिट्ठति, तत्थ णं जे से मझिले तिभागे एत्थ णं वायुकाए य, आउकाए य संच्छिति, तत्थ णं जे से उबरिले तिभागे एत्थ णं आउकाए संचिद्धति, अदुत्तरं चणं गोयमा ! लवणसमुद्दे तत्थ तत्थ देसे बहवे खुड्डा लिंजरसंठाणसंटिया खुट्टपायाल कलसा पण्णत्ता, ते णं खुट्टा पाताला एममेयं कोणसदस्से एमेजोमेण म एमपदेसियाए सेडिए, एमे जोगणसदस्से मे रोसि खुड्डागपायालाणं कुड्ढा सव्वत्थ समा-दस जोयणाई बाहलेणं पण्णत्ता-सन्न वइरामया अच्छा जाव - पडिवा. तत्थ णं वहवे जीबा, पोग्गला य जावअसासया वि. प प अतिमहतया देवतादिपरिमाहिया तेतिथे पाताला रातो तिभागा पाता से जहादेविमाने मजिसने तिभागे, उवरिले तिभ गे. ते णं तिभागा तिण्णि तेत्तीसे जोयणसते जोयणतिभागं पण सत्य जेसे द्विले विभागे एध वाउकाओ, मझिले तिभागे बाउआए, आउयाते च, उवरिले आउकाए एवामेव सपुव्यावरेणं लवणसमुद्दे सत्त पायालसहस्सा अ य चुलसीता पातालसता भवतीति मक्खाया. तेसि णं महापायालाणं, खडगपायालाण य हेडिम - मज्झमि सुतिभागेसु बहवे ओराला वाया संसेयंति, संमुच्छिमंति, एवंति चति, कंति शुम्भंति, पति, फंईति तं तं भावं परिणति तथा गं उद उणाधिनति तथा देवि महानाया पायाला Jain Education International हे भगवन् ! चादश, आटम, अनास अने पूनमना दिवसोमां लवण समुद्रमां भरती आववानुं अने ओट थवानुं शुं कारण ? हे गौतम! जंबूदीपनी वेदिकाना चारे दिशाना बहारना छेडाथी पंचाणुं पंचाणु हजार योजन जेटला लवणसमुद्रना भागने एकीने मोटामां मोटर्स चार महापातालो रह्यां छे, जेभोनो आकार मोटा कुंडा जेबो छ अने जेओ नां नाम आ प्रमाणे छे:- वडवामुख, केयूर यूप अने ईश्वर. ते महापातालोनो उद्वेध एक लाख योजननो छे, तेओनां मूळनो विष्कंभ दस हजार जनो एक प्रदेशनी पूर्वको मध्य विमा योजन छे. तेओना मुखभागनो विष्कंभ दस हजार योजननो छे, ते महावातालोनी भींत बधे ठेकाणे सम छे अने तेनी जाडाई दस हजार योजननी छे. ते भींतो वज्रमय छे अने सुंदर यावत् प्रतिरूप छे. तेमां गा जीव अने घणा पुलो अपकमे छे, पेदा थाय छे, चय पाने छे अने उपचय पाने छे. ते भाँती अनेक तथा पनी अपेक्षा अशा श्वती छे. त्यां पल्योपमना आयुश्यवाळा अने यावत्-मोटी ऋद्धिवका चार देवो रहे छे. तेमांनो एक काल, बीजो महाकाल, व्रजो वेलत्र अने चोथो प्रभंजन छे. ते महापातालोना त्रण विभाग छे, जेमके नीचेनो, बचलो अने उपरनो त्रिभाग, ते विभागोनी जाडाइनुं माप तेत्रीस हजार प्रणसे तेत्रीस योजन उपरांत एक योजन विभाग ( एक तृतीयांश योजन) छे. तेमां जे नीचेनो विभाग छे तेनां वायुकाय रहे छे, वचला त्रिभागमा वायुकाय अने जलकाय रहे छे अने उपरना विभागम जलकाय रहे छे. वळी, हे गौतम! लवणसमुद्रमा घणी जग्याए नाना नाना कुंडानी जेना वीजा पम पमा शुपाताल छे ते क्षुद्रतास फलशोनों उप एक एक हजार योजनको मनो मूलन विष्कंभ सो नोजननो छे अने एक प्रदेशनी श्रेणिपूर्वक तेना मध्यनो विष्कंभ हजार योजननो छे तथा तेना उपला भागनो विष्कंभ सो योजननो छ. से क्षुद्रपातालोनी भी थे पासमा द योजननी से बीभतो वजनी छे अने यावत् सुंदर तथा प्रति छे. तेमां घणा जीवो अने पुनको अपक्रने छे, पेदा थाय छे, चय पामे छ भने उपप पाने छ भने यावत् छे ते क क्षुपाताल देवाधिष्ठित छे. ते देवनुं आयुष्य अडधा पत्योपमनुं छे. ते क्षुद्रपातालना त्रण त्रिभाग हे. जेमके; नीचेनो, वचलो अने उपरनो. ते प्रत्येक विभागनी जाडाई व्रणसे तेत्रीस योजन अने एक योजन विभग छे नीचेना विभागमां वायुकाय छे, बचला त्रिभागमां वायुकाय अने जलकास पत्रे छे सने उपरना विभागमा का पूर्व पश्चिम मुभीगा पणसमुद्रना भागमा सात हजार आउने चाराशा For Private & Personal Use Only दि www.jainelibrary.org
SR No.004641
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherJinagama Prakashan Sabha
Publication Year
Total Pages358
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy