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शतक ६ - उद्देशक ५.
तमस्काय पशुं पृथिवी कहे बाय? - पाणी कहेवाय ? - पाणी कहेवाय तेनुं कारण? तमर काय अने पाणीनी समानस्वभावता. - तमरकायनी शरूआत क्या थी?-धनी समाप्ति क्या?अरुणोदय समुद्रधी- एनी शरुआत - ब्रह्मलोकमां एनी समाप्ति - तमस्कायनो आक र केवोनीने रामप तरना मूलनी जेवो अने उपर कुकडाना गांज जियो.- तमस्कापनो विष्कंभ अने परिक्षेप वेटलो ?- तमस्कायना चे प्रकार-संख्येययोजन विस्तृत भने भसंस्वेदयोजन विस्तृत समस्काय को भोटो छ ?- शीघ्र गतिवाळो देव छ मास सुधी चाटतां पण एना पारने न पहोंची शके एवडो मोटो.-तमस्कायमां घर, हाट, गाम के संनिवेशो छ!ना. - तमस्का मां मो- मेघो संवेदे छे ? संमूछे छे ?-बरसे छे ?-हा. ते देव-करे ? असुर करे ? के नाग करे ?-१णे पण करे. - तमस्कायम बादर स्तनित अने बादर विद्युत् छे !-हा-देवकृत छे -तमस्कायमां बादर पृथिवी अने बादर अनि छे? - ना-विग्रहगतिने अप्राप्त सिवाय. - तमस्कायमां सूर्य-चंद्र विगेरे छे!ना-तेनी पडखे छे. - तमरकायम सूर्यादिनी प्रभा छे ? ना अर्थात् ए प्रभा छे पण तमस्कायरूपे परिणमेली छे. तमस्कायनो वर्ण केवो १ क ळेकाळा मां काळो वारेमा वधारे काळो तमस्काय भयंकर छे. - एथी देवो पण क्षोभ-भय- पामे- तमस्कायनां नाम केटी तेर-तम-तमस्काय. - अंधक र. - महोपकार-कार-देवदेवारोदय (क) समुद्रसेनो परिणाम
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छे ? - पृथिवी नो ? पाणीनो १ के जीव वा पुद्रलनो ?-ए पाणीनो परिणाम छे-जीव भने पुलनो परिणाम छे पृथ्वीनो परिणाम नथी. तमस्कायमां जीव मात्र अनेकवार पैदा थरला छे-पण बादर पृथ्वीपणे अने बादर अग्निपणे नहि. कृष्ण जिओ केटली कही छे ?-आर.-ए ठेक्यां छे १- सनत्कुमार अने महेंद्र कल्पनी उपर अने नीचे ब्रह्मलोकना अरिष्ट विमानना पाथडामा एनो आकार अखाडानी जे समचोरस छे. पूर्वम ने पश्चिममां वे दक्षिणमां बे अने उत्तरमां बे-ए बधी परस्पर स्पर्शेली छे. - एना आयाम अने विष्कंभ विषे विचार. - एनी मोटाई विषे प्रश्न. - ए कृष्णराजिओमां घर वगेरे छे के नहि ? इत्यादि बधो तम कायनी जेवो ज विचार-विशेषमां देव करे- कृष्णराजिनां आठ नाम-कृष्णराजि - मेघराज - -मघा. म. घवती - वातपरेध-वातप्रतिक्षोभादेवपरिघा. - दवे प्रक्षोभा - ए कृष्णराज पृथिवीनो परिणाम हे पाणीनो परिणाम नथी. - एमां बादर पाणीपण- बादर अग्निपणे अने बादर वनस्प हेपने जीवो उत्पन्न थता नथी. - बाकी बीजे कोइ पण प्रकारे उत्पन्न थपला के. ए. कृष्णराजिओना आठ अवकाशांतर मां लोकांतिक विमानो-अर्ची-अर्चिमाली - वैरोचनप्रभेकर - चंद्र, भ-सूर्याभ-शुक्राभ- सुप्रतिष्ठाभ - ए आठे विमानोनी बच्चे रिष्टाभ विमान नवमुं.-ए विमानोने लगती बीजी हकीकत- आठ लोकांतिक देवोसारस्वत - आदित्य - वरुण-गर्दतोय तुषित- आव्याबाध-आग्नेय वरिष्ठ ए आठे देवोने लगती सविस्तर हकीव त. एआ विमानो शेनी उपर प्रतिष्ठित छे? वायु उपर. - जीवाभिगम. -बधा जीवो, ए विमानोमां पण उत्पन्न थरला छे मात्र देवपणे नहि - लोकांतिकनी स्थिति-आठ सागरे। पम. लोकांतिक विमानोथी लोकनो छेडो केटलो छेटो ? - असंख्येय योजन. -
१.५० मते तमुक्काए ति पचति, कि - !" पुढवी तमुका ति पचति आजका पति !
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१. उ० गोपमा । नो पुडपि तमुका चि पचति, आउ तमुका ति पयति.
१. प्र० - हे भगवन् । आ तमस्काय शुं कहेवाय !ॐ पृथिवी तमस्काय ए प्रमाणे कहेवाय ? शुं पाणी तमस्काय ए प्रमाणे कहेवाय
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१. उ०- हे गौतम! पृथिवी, ' तमस्काय ' ए प्रमाणे न कहेवाय, पण पाणी, ' तमस्काय ' ए प्रमाणे कहेवाय.
१. मूलच्छायाः किम् अयं भगवन् ! तमस्काय इति प्रोच्यते, किं पृथिवी तमस्काय इति प्रोच्यते, आपः तमस्काय इति प्रोच्यते गौतम! नो पृथिवी तमस्काय इति प्रेोध्यते, आपः तमस्काय इति प्रोष्यतेः - अनु०
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