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१५०. श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंग्रहे
शतक ५.-उद्देशक१. दक्षिणार्धं कहीए तो ते बे भागमां आखो पदार्थ समाइ शके छे. जो कोइ ए प्रकारना पदार्थ उपर दीवो मूकी एम कहे के आ दीवानो प्रकाश ते चोरस के गोळ पाटियाना दक्षिणार्ध अने उत्तरार्धमा पोतानो प्रकाश पाडे छे तो एम रपष्टपणे समजाइ शके के दीवाना प्रकाशथी ते आखो पदार्थ अजवाळायो छे तो ए रीते अहीं पण केम न संभवे ? अहीं कयुं छे के, जंबूद्वीपना दक्षिणार्धमा अने उत्तरार्धमा दिवस होय छे तो पछी आगळ
कहेल उदाहरण प्रमाणे आखा य जंबूद्वीपमा दिवस होवानो संभव छ पण कोइ पण भागमां-पूर्व के पश्चिम भागमां-रात्री होबी घटती नथी. अने ए समाधान, रीते वनतुं जणातुं नथी तेनुं शुं कारण ? समा०-आ स्थळे दक्षिणार्धनो 'आखो दक्षिण-हेठळ-नो भाग ' अने उत्तरार्धनो 'आखो उत्तर
उपर-नो भाग' एवो अर्थ ज नथी, पण अहीं 'अर्ध' शव्दनो अर्थ मात्र 'अमुक भाग' गण्यो छे माटे दक्षिणार्थ एटले दक्षिण दिशामां आवेलो । भाग अने उत्तरार्ध एटले उत्तर दिशामां आवेलो भाग, एवो अर्थ थाय छे अने एम अर्थ थवाथी-दक्षिणार्ध अने उत्तरार्ध शब्दवडे ते आखो
खंड लेवातो नथी-तेथी ज पूर्व अने पश्चिम दिशामा रात्री थवानुं लखाण बराबर घटी शके छे. ज्यारे पण दक्षिण अने उत्तरमा मोटामां मोटो तापक्षेत्र अने
अढार मुहूर्त-१४ कलाक अने २४ मिनिट-नो दिवस होय छे त्यारे पग जंबू द्वीपना त्रण दश भाग जेटलं ज तापक्षेत्र (प्रकाशवाळो भाग) रात्रीक्षेत्र.
दक्षिण अने उत्तरमा होय छे अने बे दश भाग जेटलुं रात्री क्षेत्र (प्रकाश विनानो भाग) पूर्व अने पश्चिममा होय छे. ते ज वातने स्पष्टपणे जणावे छे-सूर्य साठ मुहूर्त (४८ कलाक ) जेटला काळे मंडळने पूरे छे-एक मंडळमां सूर्य साठ मुहूर्त सुधी रहे छे. मोटामा मोटो दिवस अढार मुहूर्तनो कह्यो छे अने अढार संख्या साठना दस भाग करवाथी जे एक भाग आवे तेवा त्रण भागरूप छे तथा ज्यारे अढार मुहूर्तनो दिवस होय छे त्यारे बार मुहूर्त (९ कलाक अने ३६ मिनीट ) नी रात्री होय छे अने बार संख्या साठना दश भाग करवाथी जे एक भाग आवे तेना बे भागरूप छे. तेमा मेरु प्रत्ये आयाम-लंबाई-नी अपेक्षाए मोटामां मोटा दिवसमा ९४८६ योजन अने नव दशभाग जेटलुं तापक्षेत्र होय छे अने ते मेरुना परिक्षेप- जेटलुं माप छे तेना दस भाग करतां जे एक भाग आवे तेवा वण भागरूप छे. ते केवी रीते ? तो कहे छे के, मेरुनो परिक्षेप ३१६२३ योजन करतां कांइक ऊणो छे ते परिक्षेपनो दशवडे भांगाकार करता ३१६२३३, आटली संख्या आवे छे अने तेने त्रण गणी करतां ९४८६, आटली संख्या आवे छे, जे उपरनी ( उपर बतावेल तापक्षेत्रनी ) संख्या छे तथा लवण समुद्र प्रत्ये मोटागां मोटा दिवसमा ९४८६८४ योजन जेटलं तापक्षेत्र होय छे, ते केवी रीते ? तो कहे छे के, जंबूद्वीपनो घेरावो ३१६२२८ योजन करतां कांइक ओछो होय छे. ते घेरावाना मापनो दश संख्याथी भागाकार करता ३१६२२/- आटली संख्या आवे छे अने तेने त्रण गणी करतां .९४८६८ एटली तापक्षेत्रना योजननी संख्या आवे छे. जघन्य रात्रीक्षेत्रनुं माप पण ए ज प्रमाणे जाणवू. विशेष ए के, घेरावाना क्षेत्रने दसे मांगीने (भांगता जे संख्या आवे तेने) बमणी करवी. जेमके, आपणे मेरुना परिक्षेप संबंधी योजन संख्याने दसे भांगी बमणी करतां जे कांइ योजनसंख्या आवे तलु मेरुनु रात्रीक्षेत्र समजवू. मेरुनो धेरावो ३१६२३ योजन करता काइक ऊणो छे. ते घेरावाने दसे भांगता ३१६२३३ आटली संख्या आवे छे अने तेने बमणी करता ६३२४, आटली योजन संख्या आवे छे अने एटलुं मेरुनु रात्रीक्षेत्र छे तथा ए ज रीते लवण समुद्रनुं रात्रीक्षेत्र काढq होय त्यारे तेना घेरावाने दुसे भांगी बम' करता जे योजनसंख्या आवे ते, तेनुं रात्रीक्षेत्र जाणवू. जंबूद्वीपनो घेरावो ३१६२२८ योजन करतां कांइक ओछो छे, ते घेरावाना मापनी संख्याने दसे भांगता ३१६२२% आटली योजन संख्या आवे छे अने तेने बमणी करतां ६३२४५, आटली योजन संख्या आवे छे अने तेटलुं लवण समुद्रना रात्रीक्षेत्रनुं माप छे. ए रीते बधे स्थळे समजबु. तात्पर्य ए के, ज्यारे कोइ पण क्षेत्रानु. तापक्षेत्र करवू ( काढq ) होय त्यारे ते क्षेत्रना घेरावाने दसे मांगी तमणो करता जे संख्या आवे तेटलुं ते क्षेत्रनुं तापक्षेत्र जाणवू अने ज्यारे
कोइ पण क्षेत्रनु रात्रीक्षेत्र काढq होय त्यारे ते क्षेत्रना घेरावाने दसे मांगी बमणो करता जे संख्या आवे तेटलं ते क्षेत्रनु रात्रीक्षेत्र जाणQ. तथा वस अने रात्रीनी चार
ज्यारे दिवस के रात्रीना काळनी लंबाइ, टुंकाइ जाणवी होय त्यारे सूर्य जे मंडळमां जेटला मुहूर्त रहतो होय ते मुहूर्त संख्याने दसे मांगी लंबाइ टंकाइनो (भागमा जे संख्या आवे) तेने तमणी करवाथी दिवसनी लंबाइ के टुंकाइ जणाशे अने ते ज मुहूर्त संख्याने दशे भांगी-भागनी संख्यानेविचार.
बमणी करवाथी रात्रीनी लंबाई के टुंकाइ जणाशे. धारो के एक मंडळमां सूर्य ६०' मुहूर्त एटले ४८ कलाक रहे छे. तो हवे कोइने जाणवानुं होय के ज्यां सुधी सूर्य एक मांडलामा ६० मुहूर्त सुधी रहे छे त्यां सुधी रात्रीतुं माप शुं जाणवू ? उत्तर सरल ज छे-मुहूर्तनी ६० संख्याने दसे भागवाथी ६ संख्या आवे छ अने तेने तमणी करवाथी १८ संख्या आवे छे-तो ज्यां सुधी सूर्य ६० मुहूर्त सुधी एक ज मांडलामा रहे छे त्यां सुधी १८ मुहूर्त (१४ कलाक अने २४ मिनीट) नो दिवस होय छे अने रात्री बार मुहूर्तनी होय छे, ते ए रीते के, मुहूर्तनी संख्याने दसे मांगी अने बमणी करवाथी रात्रीनी लंबाइ वगेरे जणाइ जाय छे-६० मुहूतनी संख्याने दशे भांगता ६ नो भाग आवे छे अने तेने बमणुं करतां १२ संख्या आवे छे अने ते, रात्रीनी लंबाइनु माप छ ज्यारे दिवस नानो होय त्यारे ताप क्षेत्रनुं मार आगळ कहेल राषिक्षेत्र जेटलं
१. कोइ महाशयने मुहूर्त शब्द अप्रसिद्ध जणातो होय तो तेने माटे चालु रूढि प्रमाणे पण दिवस अने रात्रिनुं माप जणावी शकाय छे. जूनी रीत प्रमाणे | मुहूर्त थाय त्यारे नवी रीत प्रमाणे एक कलाक थाय अर्थात् १ कलाकर्नु रावा मुहूर्त थाय छे. हवे ज्यारे सूर्य एक मंडळमा ४८ कलाक रहेतो होय त्यारे ते ४८ कलाकने दसे भांगी-भागनी संख्याने-त्रमणी करतां जेटला कलाक अने जेटली मिनीट आवे तेटली संख्या दिवसना मापनी छे अने ते ४८ कलाकने दसे भांगी-भागनी संख्यागे-बमणी करतां जेटला कलाक अने जेटली मिनीट आवे तेटली संख्या रात्रिना मापनी छ:-न्यारे सूर्य ४८ कलाक एक मांडलामा ज रहे त्यारे दिवसर्नु माप-१०)४८ (४॥ १०)३०(३ अर्थात् ४८ने
॥ अधीत् ३० मिनीट, . दसे भांगता ४॥ कलाक अने प्रण मिनीट आवे छे अने तेने त्रणे गुणतां ( ४॥३) १४। कलाक अ ९ मिनीट आवे अने ज्यां सुधी सूर्य एक
मांडलामा ४८ फैलाक सुधी रहेछ त्यां सुधी एटला कलाकनो दिवस मोटो होय छे. रात्री माटे पण तेमज जाणवू. मात्र ४॥ कलाक अने ३ मिनीटने बमणा करवा अर्थात् ज्यां सुधी १४। कलाक अने नव मिनीटनो दिवस होय छे त्यां सुषी ९॥ कलाक अने ६ मिनीटनी रात्री होय छ:-अनु.
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