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________________ ६३ शतक १.-उद्देशक १. भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीन भगवतीसूत्र षड्योगे एक इति. अत्रोत्तरमाहः-गोयमा' ! इत्यादि व्यक्तम् . नवरम्-ये पूर्वमाहृतास्ते पूर्वकाल एव परिणताः, ग्रहणानन्तरमेव परिणामभावाद्. ये पुनराहताः, आह्रियमाणाश्च ते परिणताः, आहृतानां परिणामभावादेव, परिणमन्ति च आहियमाणानां परिणामभावस्य वर्तमानत्वादिति. वृत्तिकृता तु द्वितीयः प्रश्नोत्तरविकल्प एवंविधो दृष्टः-"यदुत आहृताः आहरिष्यमाणाः पुद्गलाः परिणताः, परिणंस्यन्ते च; यतोऽयं तेनैवं व्याख्यातः यदुत ये पुनराहृताः, आहरिष्यन्ते पुनस्तेषां केचित् परिणताश्च ये संपृक्ताः शरीरेण सह, ये तु न तावत् संपृच्यन्ते, कालान्तरे तु संपृक्ष्यन्ते ते परिणस्यन्ते इति." ये पुनरनाहृताः, आहरिष्यन्ते पुनस्ते नो परिणताः, अनाहूतानां संपर्काsभावेन परिणामाऽभावाद् ; यस्मात् तु आहरिष्यन्ते ततः परिणंस्यन्ते, आइतस्यावश्यं परिणामभावाद्" इति. चतुर्थस्तु अतीत-भविष्यदाहरणक्रियाया अभावेन परिणामाभावादवसेय इति. एतदनुसारेणैव प्राग्दर्शितविकल्पानामुत्तरसूत्राणि वाच्यानीति. १७. हवे नैरयिकोना आहारनो अधिकार होवाथी तेना विषयना •ज चार प्रश्नो कहे छे. [ नेरइयाणं' इत्यादि] नैरयिकोए आहारपरिणाम'पुवाहरिय' ति] पूर्वे जे संगृहीत करेला अथवा आहार करेला ['पोग्गल' ति] पुद्गलो-स्कंधो, तेओ [ परिणय' ति] परिणम्या? विचार. एटले के पूर्वकाले शरीरनी साथे संपृक्त थया-परिणामने प्राप्त थया? आ प्रमाणे प्रथम प्रश्न छे. (अहीं सर्व स्थले काकुपाठथी प्रश्न जणाय छे.) तथा ['आहारिय' ति] पूर्व कालमा संग्रह करायेला अथवा आहार करायेला अने ['आहारिजमाण' त्ति] वर्तमानकाळमां संग्रह कराता अथवा आहर कराता पुद्गलो ["परिणय' ति] परिणम्या? आ प्रमाणे बीजो प्रश्न छे. तथा ['अणाहारिय' ति] जेओनो अतीतकाळमां आहार कर्यो नथी अने ['आहारिजस्समाण' त्ति] भविष्यकाळमां आहार कराशे ते पुद्गलो परिणम्या ? आ प्रमाणे तृतीय प्रश्न छे. जे पुद्गलोनो ['अणाहारिया] आहार को नथी अने जे पुद्गलोनो ['अणाहारिजस्समाणा'] आहार कराशे पण नहीं ते पुद्गलो परिणम्या ? आ प्रमाणे अतीत अने अनागत काळमां आहरण क्रियानो निषेध करवारूप चोथो प्रश्न छे. अहीं जो के चार ज प्रश्नो कडा छे, परंतु विस्तारथी त्रेसठ प्रश्नो संभवे छे. कारण के अहीं पूर्वमा आहार करेला, (वर्तमानमां) आहार कराता, (भविष्यकाळमां) आहार करावाना, (भूतमां) आहार नहीं करेला, (वर्तमानमा) आहार नहीं कराता, अने (भविष्यत्काळमां) आहार नहीं करावाना आ प्रमाणे छ पदो सूचव्या छे. ते छ पदमां एकेक पदनो आश्रय करता है प्रश्नो, बब्बे पदनो आश्रय करतां पंदर प्रश्नो, त्रण त्रण पदनो योग करता ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहृताः. (6.) १. पूर्वाहृताः. ३. आहरिष्यमाणाः. ५. अनाहियमाणाः. (७.) १. पूर्वाहृताः. ३. आहरिष्यमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (८.) १. पूर्वाहृताः. ४. अनाहृताः. ५. अनाहियमाणाः. (९.) १. पूर्वाहृताः. ४. अनाहृताः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (१०.) १. पूर्वाहृताः. ५. अनाह्रियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (११.) २. आह्रियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहृताः. (१२.) २. आहियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः. ५. अनाहियमाणाः. (१३.) २. आह्रियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः, ६. अनाहरिष्यमाणाः. (१४.) २. आहियभाणाः. ४. अनाहताः. ५. अनाहियमाणाः, (१५.) २. आह्रियमाणाः. ४. अनाहृताः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (१६.) २. आह्रियमाणाः, ५. अना. हियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (१५.) ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहृताः. ५. अनाहियमाणाः. (१८.) ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहताः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (१९.) ३. आहरिष्यमाणाः. ५. अनाहियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (२०.) ४. अनाहताः. ५. अनाहियमाणाः, ६. अनाहरिष्यमाणाः. ४. एते चैवम्:-(१.) १. पूर्वाहृताः. २. आहियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहृताः. (२.) १. पूर्वाहृताः. २. आह्रियमाणाः. ३. आहरिध्यमाणाः. ५. अनाहियमाणाः. (३.) १. पूर्वाहृताः. २. आहियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (४.) १. पूर्वाहृताः. २. आहियमाणाः. ४. अनाहृताः. ५. अनाहियमाणाः. (५.) १. पूर्वाहृताः. २. आहियमाणाः. ४. अनाहताः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (६.) १. पूर्वाहृताः. २. आह्रियमाणाः. ५. अनाहियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (७.) १. पूर्वाहृताः. ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहृताः. ५. अनाहियमाणाः. (८.) १. पूर्वाहृताः. ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहृताः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (९.) १. पूर्वाहृताः. ३. आहरिष्यमाणाः. ५. अनाहियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (१०.) १. पूर्वाहृताः. ४. अनाहताः. ५. अनाहियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (११.) २. आह्रियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः. ४. भनाहताः, ५. अनाहियमाणाः. (१२.) २. आह्रियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहृताः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (१३.) २. आह्रियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः. ५. अनाहियमाणाः ६. अनाहरिष्यमाणाः, (१४.) २. आहियमाणाः. ४. अनाहृताः. ५. अनाहियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (१५.) ३.आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहृताः. ५. अनाहियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. ५. इमे चैतेः-(१.) १. पूर्वाहृताः. २. आहियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः, ४. अनाहताः. ५. अनाहियमाणाः. (२.) १. पूर्वाहृताः. २. आहियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहृताः. ६. अनाहरिष्यमाणाः, (३.) १. पूर्वाहृताः. २. आहियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः. ५. अनाहियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (४.) १. पूर्वाहृताः. २. आह्रियमाणाः. ४. अनाहृताः. ५. अनाहियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (५.) १. पूर्वाहताः. ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहताः. ५. अनाहियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. (.) २. आहियमाणाः, ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहृताः. ५. अनाहियमाणाः. ६. अनाहरिष्यमाणाः. ६. स चायमः-(१.) १. पूर्वाहृताः. २. आहियमाणाः. ३. आहरिष्यमाणाः. ४. अनाहताः, ५. अनाहियमाणाः. ६ अनाहरिष्यमाणाः-अनु. १. उपर्युक छ पदना त्रेसठ भांगा थाय छ, अने एक भांगे एक प्रश्न उद्भवे छे, एम बधा मळीने प्रेसठ प्रश्नो उठे छे. ते क्रमपूर्वक आ प्रमाणे छे:१. पूर्वाहृत. २. आह्रियमाण. ३. आहरिष्यमाण. ४. अनाहृत. ५. अनाहियमाण. ६. अनाहरिष्यमाण. २-(१.) १. पूर्वाहृत. २. आहियमाण. (२.) १. पूर्वाहत. ३. आहरिष्यमाण. (३.) १. पूर्वाहत. ४. अनाहत. (४.) १. पूर्वाहत. ५. अनाहियमाण. (५.) १. पूर्वाहृत. ६. अनाहरिष्यमाण. (१.) २. आहियमाण. ३. आहरिष्यमाण. (..). २. आहियमाण. ४. अनाहत. (८.) २. आहियमाण. ५. अनाहियमाण. (९.) २. आहियमाण. ६. अनाहरिष्यमाण. (१०.) ३. आहरिष्यमाण. ४. अनाहृत. (११.) ३. आहरिष्यमाण. ५. अनाहियमाण. (१२.) ३. आहरिष्यमाण. ६. अनाहरिष्यमाण. (१३.) ४. अनाहृत. ५. अनाहियमाण. (१४.) ४. अनाहत. ६. अनाहरिष्यमाण. (१५.) ५. अनाहियमाण. ६. अनाहरिष्यमाणः-अनु० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.004640
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages372
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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