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शतक १.-उद्देशक १०. अन्यतीर्थिक वक्तव्य-चलमान अचलित.-वे परमाणु परस्पर न चोटें.-तेमां चिकाश नथी.-त्रण अणु चोंटे.-तेना ये सरखा भाग १॥ ॥ थाय, अने त्रण
भाग पण थाय.-चार अणु.-पांच अणुनुं कर्म बने.- शाश्वत छे.-कर्म चयापचय पामे.-बोल्या पहेला भाषा ते भाषा.-बोलाती भाषा ते भाषा नहीं.-बोल्या पछीनी भाषा ते भाषा,-बोलतानी भाषा नहीं.-अणबोलतानी भाषा.-कर्या पहेलानी क्रिया ते दुःखरूप.—कराती क्रिया अदुःखरूप.को पछीनी क्रिया दुःखरूप.-अकरणथी.-अकृल्प दुःख.-श्रीमहावीर वक्तव्य-अन्यतीर्थिकर्नु असत्य.-चलमान चलित.-वे परमाणु परस्पर चोंटे.तेना वे सरखा भाग थाय.-त्रण परमाणु चौटे, तेना व भाग थाय, पण सरखा न थाय.-त्रण भाग थाय.-चार अणु.-पांच अणुनो स्कंध (कर्म नही).से अशाश्वत.-बोल्या पहेलानी भाषा ते अमापा.-बोलाती भाषा भाषा.-बोल्या पछीनी भाषा अभाषा-बोलतानी भाषा.-अणवोलतानी अभाषा.भाषानी पेठे क्रिया-कल्प दुःख.-अन्यतीथिकमत.-एक जीव एक समये ये किया साथे करे.-ऐपिथिकी.-सपिरायिकी. ते खोटु -श्रीमहावीरमत.--एक बीव एक समये एक क्रिया करे.-केटला काळ सुधी नरकमा जीव उत्पन्न ज न थाय !-बार मुहूर्त-व्युत्क्रान्तिपद.-गौतमविहार.उद्देशकसमाप्ति---शतकसमाप्ति.३०८. अन्नउत्थिया णं भंते ! एवं आइक्खंति, जाव-एवं ३०८. हे भगवन् ! अन्यतीर्थिको आ प्रमाणे कहे छे परूवेति-"एवं खलु चलमाणे अचलिए, जाव-निजरिजमाणे यावत्-आ प्रमाणे प्ररूपे छे के "चालतुं ते चाल्युं न कहेवाय अने आणिजिने."
यावत्-निर्जरातुं ते निर्जरायुं न कहेवाय." - ३०९.-"दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहणंति. कम्हा ३०९.-"बे परमाणु पुद्गलो एक एकने चोंटता नथी. बे परदो परमाणुपोग्गला एगंततो न साहणंति ? दोण्हं परमाणुपोग्गलाणं माणु पुद्गलो एक एकने शामाटे चोंटता नथी? बे परमाणु पुद्गलोमा नधि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहणति.” चीकाश नथी माटे ते बे परमाणु पुद्गलो एक एकने चोंटता नथी."
.३१०.-तिणि परमाणपोग्गला एगयओ साहणंति. ३१०.-"त्रण परमाणु पुगलो एक एकने परस्पर चोंटी कम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ. साहणंति ? तिण्हं परमा- जाय छे. त्रण परमाणु पुद्गलो एक एकने परस्पर चोंटे छे तेनुं शुं गुषोग्गलाणं अस्थि सिणेहकाए, तम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला कारण ? त्रण परमाणु पुद्गलोमा चौकाश होय छे. माटे ते त्रण एगयओ साहणति. ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिविहा वि कन्जंति. परमाणु पुद्गलो एक एकने परस्पर चोंटी जाय छे. वळी जो ते त्रण दुहा कज्जमाणा एगयओ दिवड़े परमाणुपोग्गले भवइ, एगयओ परमाणुओना भाग करवामां आवे तो तेना बे भाग पण थइ शके वि दिवड़े परमाणुपोग्गले भवइ. तिहा कन्जमाणा तिणि परमाणु- छे अने त्रण भाग पण थइ शके छ, जो ते त्रण परमाणु पुद्गलना पोग्गला भवंति. एवं जाव-चत्तारिः"
बे भाग करवामां आवे तो एक तरफ दोढ परमाणु आवे छे अने बीजी तरफ पण दोढ परमाणु आवे छे. अने जो ते त्रण परमाणु पुद्गलना त्रण भाग करवामां आवे तो त्रणे परमाणु पुद्गलो एक एक एम जुदा जुदा थइ जाय छे. ए प्रमाणे यावत्-चार परमाणु पुद्गलो विषे पण समजq."
१. भूलच्छायाः-अन्यतीथिका भगवन् ! एवम् आख्यान्ति, यावत्-एवं प्ररूपयन्ति-एवं खलु चलमानम् अचलितम् , यावत्-निार्यमाणम् अनिर्णिम्. द्वौ परमाणुपुद्गलौ एकतः न संहन्येते. कस्माद् द्वौ परमाणुपुद्गली एकतो न सहन्येते ? 'योः परमाणुपुद्गलयोः नास्ति नेहकायः, तस्माद् द्वा परमाणुपुद्गली एकतो न सहन्येते.. त्रयः परमाणुपुद्गलाः एकतः संहन्यन्ते. कस्मात् त्रयः परमाणुपुद्गला एकतः संहन्यन्ते ! त्रयाणां परमाणुपुद्गलानाम् अस्ति स्नेहकायः, तस्मात् त्रयः परमाणुपुद्गलाः एकतः संहन्यन्ते. ते भिधमाना द्विधा अपि, त्रिविधा अपि क्रियन्ते. द्विधा कियमाणा एकतो धर्धः परमाणुपुतलो भवति. एकतोऽपि स्पर्धः परमाणुपुद्गलो, भवतिः त्रिधा क्रियमाणा प्रयः परमाणुपुदूला भवन्ति. एवं यावत्-चत्वारः-अनु.
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