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छारोसहि-जोगेहि य पुप्फ-फलाणं च कीरइ पराओ । विग्धं (? सिद्ध) कारण जायं [त ]मिंदयांले जहा दिट्ठ || १५५ उप्पाड (?) निहिय मेत्तं रुक्खाणं... ओसह गुणेणं । नवरिं aur-विहा पुप्फ-फलाणि च बहू होंति ।। १५६ एव भणियम्म ताण तत्थ तो हन्नइ ( ? ) कुसुम-पिंडिं । अग्घाईऊण सुरं आयरतएरण पेच्छामि ।। १५७ वण्ण-रस रूव-गंध-गुणुक्करिसं [च] सु-परिच्छियं जाहे । हापोह - वियारण गुण-संसिद्धीए बुद्धी ॥१५८ तो मुणिय-कारणा हं भणामि विजय रइअंजलि - मउला । आसण्ण विहिय-परिचय-गुणेण पुरओ य तायस्स ॥१५९ भूमी - काल-प्पभवं पोसणमप्पोसणं च विद्धिं च । नाऊण पायवाणं पगइ - विगारा य ते पुण सिप्पिय जोगुप्पाइय-विहि- कारणेहिं ते पंच वण्ण हेऊ जे भगह न ते इट्टं गंधेण सूइओ मे वर-कंचण - रेणु पिंजरो पिंडीए अह राओ वर- पउम कओ इमो तो भइ तत्थ ताओ वणस्स मज्झमि होहि पंकय-रयस्स पुत्तय उववत्ती सत्तिवण्णमि ॥ १६३ तो बेमि सुणह ताया कोरणमिणमो पमाण - विहि-दिट्ठ । जह सन्त्तिवण्ण-पिंडी
तत्थ
पंकय-रय - पिंजरा इणमो ॥१६४ पुप्फाण पभव रूक्खस्स सत्तिवण्णस्स तस्स आसण्णे । भवियव्वो पउम - सरो सरयाले पीवर-सिरीओ ॥१६५ दिवाकर-कर - बोहिएस नियय-रय - पिंजरीए । पउमे छप्पय गणा निलेति मयरंद- लोहेणं ॥ १६६ तो तत्तो उड्डीणा बहसो ( ? ) - मयरंद - पिंजरा भ्रमरा । अलिति सत्तिवण्णस्स तस्स पुप्फ-गुलिएसु तहि ।। १६७ छप्पय-गण-पय-निलीण- संफ ( ? ) - संकंत - रेणु-भावेण । तो तेणं लच्छिधरा कय (?) वर रएण आ (? पी ) यया जाया ॥ १६८ एत्तियमेत्तं एयं नत्थि विगप्पो त्ति जंपियम्मि मए । तो पुप्फ-वावडा सा सुट्ट हुमुणियं ति भाणीया ॥ १६९ अवयासेऊण य मं सीसे अग्घाइऊण तो हरिसा ऊरिय-हियओ पुलइय- अंगो इमं भणइ ॥ १७० सुठु हु मुणियं पुत्तय हियय-गयं मम वि एत्तियं चेव । विष्णाण - सिक्खियं पुण परिक्खिउँ पुच्छिया सि मए ॥ १७१ विणय-गुण-रूव- लावण्ण - सील-गुण (?) पवरं वरं किसोघरि
ताओ ।
धम्म - विणएहिं । पावसु अचिरेण कालेन ॥ १७२
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णायच्चा || १६० जायंति ।
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अस्थि ॥१६१ सुरभी ।
ताय ।। १६२
कत्तो ।
तरंबोला
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