________________
में सफर करने वाले कई यात्री दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं तो कुछ यात्री घायल हो जाते हैं तो कुछ मर जाते हैं। ऐसा क्यों है ? हमारे वैज्ञानिक भी इस रहस्य को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं।
जैन विज्ञान आधुनिक विज्ञान से काफी मेल खाता है। जैन विज्ञान सही माने में गुणात्मक है, और तीर्थंकर द्वारा कथित है। जब कि आधुनिक विज्ञान परिणात्मक है। दोनों ही विज्ञानों का आधार तर्क ही है। द फाईन्डींग ऑफ द थर्ड आई के लेखक बेरा स्टेन्ली ओल्डर के अनुसार कुछ ही अनुसंधानों ने यह संभावना व्यक्त कर दी है कि विज्ञान के आविष्कार एवं पूर्वकाल के ज्ञानी पुरुष के वचन तथा ज्ञान एकदूसरे में समा जाएंगे। इन दोनों में फर्क केवल शाब्दिक ही है और उसका प्रस्तुतीकरण है।
हृदय की गति रूक जाने से मृत व्यक्ति एवं जड़ समाधि में लीन व्यक्ति देह में दोनों में ही हृदय की गति तो बंद हैं, फिर भी एक व्यक्ति मृत है तथा दूसरा व्यक्ति जीवित है। आखिर ऐसा क्यों? जड़ समाधि में लीन व्यक्ति का हृदय स्थगित हैं एवं उसका जीवन चल रहा हैं, इसमें प्राण का संचरण चल रहा है। जीवन की निशानी के रूप मानेजाने वाले साँस लेना और छोड़ना, रक्त का परिभ्रमण, हृदय की गति आदि शरीर की मूलभूत क्रियाएं बंद हैं, परंतु शरीर का विघटन नहीं होता और निश्चित समय पर समाधि में जाने से पहले निश्चित किए गए समय पर अपने कथित निष्पाण शरीर को पुनः गतिशील कराता है। कुछ दिनों तक समाधि अवस्था में रहने के पश्चात् भी योगी के शरीर में कीड़े क्यो नहीं उत्पन्न होते? जीवन का अंत क्यों नहीं नजर आता?
___ रासायनिक क्रियाओं से जीवन निर्माण हुआ है ऐसा दावा जीवविज्ञान नहीं कर पाया है। जब कि विज्ञान की अन्य विद्याओं में तो हमारे देह से अलग अस्तित्व है ऐसा कोई तत्त्व हमारे देह में है ऐसी विचारधारा का प्रतिपादन हो चुका है। जब तो पश्चिम के देश भी कर्म के सिद्धांत को मानने लगे है। यद्यपि पश्चिम के यही देश विज्ञान में ही ज्यादा विश्वास करते हैं। एक सुप्रसिद्ध अंग्रेज ने तो कहा है - कर्म एक वैज्ञानिक नियम है। भौतिक शास्त्र में तो क्रिया और प्रतिक्रिया के नियम को हमारी प्रवृत्ति, विचार, भावनाएं आदि का स्वीकार हमने किया है और वे ही आध्यात्मिक जीवन के विचार हैं।
જ્ઞાનધારા
२६०
(જૈનસાહિત્ય જ્ઞાનસત્ર-૨
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org