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________________ कृषि में होने वाली हिंसा ४) विरोधी : अपने जीवन, सम्पत्ति या देश की रक्षा हेतु होने वाली हिंसा साधु लोग उपर्युक्त चारों प्रकार की हिंसा का त्याग करते हैं पर एक गृहस्थ को प्रथम प्रकार की हिंसा का पूर्ण त्याग करना चाहिए लेकिन अन्य तीन प्रकार की हिंसा का त्याग उसके लिए सम्भव नहीं है लेकिन उनमें भी विवेक या जागरूकता पूर्वक जीवन यापन करना आवश्यक है। ___ अहिंसा का जो सकारात्मक रूप है उसकी ओर सबका ध्यान गया है। पर उसका जो नकारात्मक रूप है उस पर कम ध्यान दिया गया। सकारात्मक रूप क्षमा, करुणा, दया, दान और निस्वार्थ सेवा के रूप में अभिव्यक्त होता यद्यपि विश्व के धर्मों को मानने वालों की तुलना में जैन धर्म के मानने वालों की संख्या बहुत कम है, लेकिन अपने धर्म के प्रति निष्ठा, अहिंसा एवं सदाचार का पालन, व्यसन मुक्त जीवन आदि को महत्त्व देने के कारण कम संख्या के होते हुए भी जैन समाज ने अपनी विशिष्टता भारत एवं विदेशों में स्थापित की है। जैन साधु और साध्वी अपनी सादगी, अकिञ्चनता, त्याग और तपस्या की भावना, पैदल विहार करना तथा पूर्ण अपरिग्रह का पालन करने के कारण सुविख्यात है तथा सारे विश्व में सम्मानित हैं। सिद्धांतों की कठोरता तथा आचरण की दुरूहता के कारण उनकी संख्या अवश्य ही कम है किन्तु जैन धर्म का प्रचार प्रसार करने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। लेकिन वर्तमान में जैन समाज कुछ समस्याओं से ग्रसित हो गया है। प्रामाणिकता में कुछ कमी आई है। पहले जो रात्रिभोजन के त्याग का काफी पालन होता था वह अब नागरिक सभ्यता व जीवन की जटिलताओं के विकास के कारण काफी कम हो गया है। पहले जैन अपने शुद्ध एवं सात्विक शाकाहारी भोजन के कारण प्रसिद्ध थे पर आज बहुत से लोग खान-पान एवं रहन-सहन का कड़ाई के साथ पालन नहीं कर रहे हैं। जैन धर्म में हिंसा के त्याग का पूर्ण महत्व है पर आज आजीविका, उद्यम एवं व्यापार में हिंसा, सत्य-असत्य व चौर्य-अचौर्य का कोई विवेक नहीं रह गया है। दैनिक के જ્ઞાનધારા (૨ ૩૧ જૈનસાહિત્ય જ્ઞાનસત્ર-૨ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004539
Book TitleGyandhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunvant Barvalia
PublisherSaurashtra Kesari Pranguru Jain Philosophical and Literary Research Centre
Publication Year
Total Pages334
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati & Spiritual
File Size13 MB
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