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॥ छठ्ठो प्रकाश ॥
|| आर्या ||
अहुणा छपयासे, वणिज्जइ परिचओ भगवईए || जहजोगं सारंपि य, वुच्छं सुत्ताइवयर्णोह ॥ ३२ ॥ समवायंगे वृत्त विततं भगवईइ नंदीए || सारवखाणावसरे, बालसंगीह संखेवा ।। ३३ ।
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सपरोभयसमयाणं, जीबाजीवाण लोयलोयाणं ।। aureeमराईहिं, कयपहाणं जिणुताई || ३४ ॥
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बागरणाइ विसेसा, दव्वाइ पयासगाइ विविहाई ॥ संसारं बुहितारण- पच्चलदढपोयसरिसाई ।। ३५ ।।
तमरयविद्धसणाइ महयाई ।।
भव्वाभिनंदियाई, सीसहित्यसुयस्था, उवइट्ठा पंचमंगम्मि ॥ ३६ ॥ संखेज्मसिलोगाई, एगे पण्णाविओ सुयवखंधे ॥ साहियमज्झयणसयं, बस उद्देसगसहस्साइं ।। ३७ ।। छत्तीस सहस्साई, वागरणाणं विहितत्ताणं ॥ इगयालोससयाई, दुगुणपयाई चउत्थंगा || ३८ ॥
अंगस्सेस्सत्था, कहिया दस वट्टमाणवित्तीए ॥ मोमपा बहुष्यमाणा तहसि ।। ३९ ।। सिरिअग्गिभूइपमुहा, रोहजयंती तहा अजइणावि ॥
विहायगभविया, सिरिवीरचरितवयणाई ।। ४० ।। बाणंदाईणं, दिक्खा मोक्खा जिणेहिं पण्णत्ता ॥ सुरभासा कडजुम्मा इ जमालिचरित्तगोसाला ।। ४१ ।। सिरिखबगाइ चरिया, महासिलाकंटगस्त वृत्तांतं ॥ राहुग्गहनामाई जत्ता जवणिज्ज वाबाहा ।। ४२ ।।
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