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________________ शब्दार्थ-कोष गब्भ-वुक्कंति गर्भ में आना गब्भाओ=गर्भ से गयंगत, प्राप्त गल्लिए हाथी का हौदा गरुय-दंडं भारी दंड गवेलग=बकरी व भेड़ गहियायार-भंडग-नेवत्थे आचार-भंडक और साधुओं का वेष धारण करने वाला गामंतराइं एक गांव से दूसरे गांव के .. बीच का रास्ता, दूसरा गांव गामस्स ग्राम के गामाणुगामं, मे एक ग्राम से दूसरे ग्राम गामेणं गांव ने, गांव के लोगों ने गाहावइ-कुलं गृहपति के कुल में गाहिए ग्रहण कराया है अर्थात् पढ़ाया है . गाहेइ ग्रहण करता है, स्थापन करता है गिण्हमाणे ग्रहण करते हुए गिद्धा लम्पट गिलायमाणस्स रुग्ण होने पर गुज्झगे भवन-पति देवों को गुण गुण व्रत, सीलवय देखो गुण-जाइयस्स गुणवान् गुणसिलए, ते गुणशील नामक चैत्य या बगीचा . गुत्त-बंभयारीणं ब्रह्मचर्य की गुप्ति वाले, ___ ब्रह्मचर्य की रक्षा करने वाले गुत्तिंदियाणं इन्द्रियों को गुप्त करने वाले, ... पांच इन्द्रियों को वशकर पाप से बचाने वाले गुत्तिहिं गुप्त रख कर (पाप या अशुभ ___ प्रवृत्ति से) बचा कर गुग्विणीए गर्भिणी के लिए गूढायारी कपट करने वाला गोचरिया गोचरी, भिक्षा गोदोहियाए गोदोह नामक आसन से अर्थात् गाय दुहने के लिए जिस प्रकार बैठा जाता है उसी प्रकार बैठ कर धर्म-ध्यान आदि करना गोमुत्तिया गोमूत्र के आकार से अर्थात् चलती हुई गौ जिस प्रकार मूत्र करती है इसी प्रकार वक्र-गति से भिक्षा करना गोयर-आयार-गोयर देखो गोयर-काला-गोचरी (भिक्षा) का समय घासियं भूमि आदि पर रगड़ना पर रगड़ना घोलियंदधिवत् मथन करना घोस–विसुद्धि-कारय=श्रुत-शुद्ध घोषों ___के द्वारा उच्चारण करने वाला च और चइत्ताच्युत होकर चइत्ता छोड़ कर. चउ-विहा=चार प्रकार की चउत्थेणं (भत्तेणं) चतुर्थ-भक्त नामक तप के द्वारा
SR No.004500
Book TitleDasha Shrutskandh Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatmaram Jain Dharmarth Samiti
Publication Year2001
Total Pages576
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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