________________ दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् उक्कुडुयस्स=घुटनों के बल बैठने का आसन उक्कोसेण-उत्कर्ष से उगिण्हित्तए रोकना उगिण्हित्ता ग्रहण करने वाला, आज्ञा लेने वाला उगिण्हेइ-ग्रहण करता है उग्ग-पुत्ता-उग्र-पुत्र उग्गह-आज्ञा उग्गह-मइ-संपया सामान्य रूप से वस्तु का बोध करना, मति-संपदा का एक भेद उच्चार-पासवणं मल और मूत्र उच्चार-पासवण-खेल-जल्ल-सिंधाणगवंत पित्त-सुक्क-सोणिय-समुभवा=मल, मूत्र, श्लेष्म, शरीर के मल, नासिका के मल, वात, पित्त, शुक्र और रुधिर से उत्पन्न होने वाले उच्चार-पासवण-खेल-सिंहाण-जल्ल-पारि ठावणिया-समियाणं मल, मूत्र थूक, नाक के मल, और पसीना आदि को यत्नाचार-पूर्वक डालने वाले उच्चावएसु-ऊंचे-नीचे उच्चावयाइं छोटे अथवा बड़े उच्चासणंसि ऊंचे आसन पर उच्छु-खंडिया गन्ने की पोरी उज्जाणाणि उद्यान, बगीचे . उज्जुयं सरल रीति से, सीधे साधे उञ्छं थोड़ा 2 उडुहित्ता जलाने वाला उड्ढे ऊर्ध्व लोक उण्हं गरम उण्हाओ-गरम (जगह) से उत्तमंगम्मि=उत्तम-श्रेष्ठ अङ्ग पर उत्तर-गामिए उत्तर दिशा जाने वाला उत्ताणस्स आकाश की ओर मुख कर लेटने / का आसन उदग-तलं-जल का तल उदयंसि जल में उदिण्ण-काम-जाए जिसके चित्त में .. ___ काम-वासनाओं का उदय हो जाय . | उद्दालित्ता-चमड़ी उतारने वाला / उद्दिठ्ठ-चदद्दसि देखो .. . उद्दिट्ठ-भत्तं, ते उद्दिष्ट भक्त अर्थात् साधु __ के उद्देश्य से बनाये हुए भोजन से उद्धटु-ऊपर उठा कर, ऊंचा कर उद्धरिय=ऊपर धारण किया हुआ उप्पण्णंसि उत्पन्न होने पर उप्पण्णे उत्पन्न हुए (उपसर्गों को) उपदंसेति-उपदर्शित किया गया है उपागई प्राप्त कर लेता है उप्पाइत्ता उत्पन्न करने वाला उप्पाडिय नयण देखो उप्पाहिज्जा उत्पन्न हो जाय उभओ=दोनों ओर उम्मुक्क-बालभावे=बाल भाव को छोड़ - कर, बालकपन के छूट जाने पर उरसि छाती पर