________________ - शब्दार्थ-कोष 7 आलोएइ आलोचना करता है आवदमाणस्स सामने आने पर आवरिय-अवरुद्ध कर आवसहिया पत्तों की झोंपड़ियों में रहने वाले आवाहंसि=व्याधि (रोग) में . आविठू-युक्त आविद्धमो=(क्या) करें / आवेढेइ आवेष्टित करता है आस घोड़ा आसगस्स=मुख को आसन्नं अत्यन्त समीप होकर आसयइ अभिलाषा अथवा भोग ... करता है आसस्स अश्व अर्थात् घोड़े के आसायणा=आशातना, विनय-मर्यादा का उलंघन आसायणाओ=आशातनाएं आसायणिज्जा आस्वादनीय आसिय-सींच कर आहटु-(साधु के) सन्मुख लाया गया आहम्मिए अधार्मिक आहरेमो (क्या) लावें आहाकम्म आधा-कर्म, साधु के लिए तैयार __भोजन आहारित्ता खाता है, खाने वाला आहिय-दिट्ठी आस्तिक-दृष्टि आहिय-पन्ने आस्तिक-प्रज्ञ आहिय-वाई-आस्तिक-वादी इंगाल-कम्मंताणि कोयले के ठेके इच्छइ चाहता है इणामेव प्रत्यक्ष है इतो-पुव्वं=दीक्षा से पूर्व इत्थं इस प्रकार इत्थिका-स्त्री, स्त्रियां इत्थि-गुम्म-परिवुडे स्त्रियों के समूह से ___ घिरा हुआ इत्थि-तणए, यं-स्त्री-तनु इत्थि-भोगाई-स्त्री-भोग इत्थी-विसय-गेहीए स्त्री-विषयक सुखों ___ में लोलुप रहने वाला इत्थीओ स्त्रियां इमा यह इमाई ये इमेतारूवे इस प्रकार का इरिया-समियाणं-ईया-समिति वाले इरिया-समिया ईर्या-समिति वाले इह यह लोक इहेव-इसी लोक में ईसरी-कए ईश्वर अर्थात् समर्थ-शाली . बनाया हुआ . ईसरेण ईश्वर ने, समर्थ व्याक्ति ने ईसा-दोसेण=ईर्ष्या-दोष से ईहा-मइ ईहा=मति ईहा-मइ-संपया विशेष अवबोध रूप ज्ञान, अवग्रह-मति से देखी हुई वस्तु के विषय में विचार करना, मति-सम्पदा का एक उक्कंचण-घूस, घूस लेने वाला