________________ SEX दशमी-दशा . हिन्दीभाषाटीकासहितम् / 406 . . . . प्रश्न यह उपस्थित होता है कि निर्ग्रन्थी केवल उक्त पुरुषों को देखने मात्र से ही किस प्रकार निदान कर्म करती है ? इसके समाधान में सूत्रकार स्वयं कहते हैं:. दुक्खं खलु इत्थि-त्तणए, दुस्संचराई गामंतराइं जाव सन्निवे संतराइं / से जहा नामए अंब-पेसियाति वा मातुलिंग-पेसियाति वा अंबाडग-पेसियाति वा मंस-पेसियाति वा उच्छु-खंडियाति वा संबलि-फलियाति वा बहुजणस्स आसायणिज्जा पत्थणिज्जा पीहणिज्जा अभिलसणिज्जा एवामेव इत्थिकावि बहुजणस्स आसायणिज्जा जाव अभिलसणिज्जा, तं दुक्खं खलु इत्थित्तणए पुमत्ताए णं साहू | . दुःखं खलु स्त्रीतनूः, दुःसञ्चराणि ग्रामान्तराणि यावत्स-निवेशान्तराणि / अथ यथानामकाम्र-पेशिकेति वा मातु-लिंग-पेशिकेति वा आम्रातक-पेशिकेति वा मांस-पेशिकेति वा इक्षु-खण्डिकेति वा शाल्मलि-फलिकेति वा बहुजनस्यास्वादनीया, प्रार्थनीया, स्पृहणीया यावदभिलषणीयैवमेव स्त्रीकापि बहुजनस्यास्वादनीया यावदभिलषणीया / तदुःखं खलु स्त्री-तनूः, पुरुषत्वं नु साधु / ____ पदार्थान्वयः-इत्थि-त्तणए-स्त्रीत्व संसार में दुक्खं खलु-कष्ट-रूप है क्योंकि गामंतराइं-एक गांव से दूसरे गांव में और सन्निवसंतराइं-एक पड़ाव से दूसरे पड़ाव में दुस्संचाराई-स्त्रियों का जाना कठिन होता है अर्थात् स्त्री एक स्थान से दूसरे स्थान में स्वच्छन्दता और निःसंकोच-भाव से नहीं जा सकती क्योंकि से जहानामए-जिस प्रकार अंबपेसियाति-आम की फांक वा-अथवा अंबाडग-पेसियाति-आम्रातक (एक फल जिसमें बहुत से बीज होते हैं) की फांक वा-अथवा मंस-पेसियाति-मांस की फांक वा-अथवा संबलि-फलियाति-शाल्मली वृक्ष की फली बहुजणस्स-बहुत से मनुष्यों की आसायणिज्जा-आस्वादनीय पत्थणिज्जा-प्रार्थनीय पीहणिज्जा-स्पर्धा करने के योग्य और अभिलसणिज्जा-अभिलषणीया होती हैं तं-इस लिये इत्थि-त्तणए-स्त्रीत्व . दुक्खं-कष्ट-रूप है पुमत्ताए णं-पुरुषत्व साहू-साधु है |