________________ दशमी दशा हिन्दीभाषाटीकासहितम् / 405 तीसे णं अतिजायमाणीए वा निज्जायमाणीए वा जाव किं ते आसगस्स सदति / यावत्तेन तां दारिकां यावद् भार्यातया ददति / सा नु तस्य भार्या भवति, एका, एकजाया यावत्तथैव सर्वं भणितव्यम् / तस्या अतियान्त्या निर्यान्त्या वा यावत्किंतवास्यकस्य स्वदते / ____पदार्थान्वयः-जाव-यावत् तेणं-उस दहेज आदि के साथ तं-उस दारियं-लड़की को उसके माता-पिता-भाई आदि भारियत्ताए–भार्या-रूप से (किसी सम कुल और वित्त वाले को) दलयति-देते हैं फिर सा-वह तस्स-उसकी भारिया-भार्या (पत्नी) भवति-हो जाती है एगा-अकेली एगजाया-सपत्नी रहित होती है जाव-यावत् शेष सव्वं-सब तहेव-जैसा पहले कहा जा चुका है उसी प्रकार भाणियव्वं-कहना चाहिए | तीसे णं-उसके अतिजायमाणीए-घर में प्रवेश करते हुए निज्जायमाणीए-घर से बाहर निकलते हुए जाव-यावत् ते-आपके आसगस्स-मुख को किं-क्या सदति-अच्छा लगता है / मूलार्थ-उस कन्या को उसके माता-पिता और भाई-बन्धु तदुचित दहेज के साथ किसी सम कुल और वित्त वाले युवक को भार्या-रूप से देते हैं / वह उसकी एक और सपत्नी-रहित पत्नी हो जाती है / शेष सब पूर्ववत् जानना चाहिये / फिर जब वह घर के भीतर या घर से बाहर जाती है तो अनेक दास और दासियां प्रार्थना में रहती हैं कि आपके मुख को कौनसा पदार्थ स्वादिष्ट लगता है / टीका-इस सूत्र में कोई नयी व्याख्या करने के योग्य बात नहीं है / यह सब दूसरे निदान कर्म में आ गया है / ___ अब सूत्रकार कहते हैं कि इस प्रकार निदान कर्म करके जब निर्ग्रन्थ स्त्री बन जाता है तो उसके धर्म के विषय में कैसा विचार होता है: तीसे णं तहाप्पगाराए इत्थिकाए तहारूवे समणे वा माहणे | वा धम्म आइक्खेज्जा? हंता! आइक्खेज्जा | जाव सा णं