________________ 266 दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् नवमी दशा 3 तस्मिन् काले तस्मिन् समये चम्पा नाम नगर्यभूत् / वयं पुण्यभद्रं नाम चैत्यम् / वर्ण्यः कोणिको राजा धारिणी देवी / स्वामी समवसृतः परिषन्निर्गता | धर्मः कथितः परिषत्प्रतिगता / ___ पदार्थान्वयः-तेणं कालेणं-उस काल और तेणं समएणं-उस समय चंपा नाम-चंपा नाम वाली नयरी-नगरी होत्था थी वण्णओ-वर्णन करने योग्य है पुण्णभद्दे नाम-(उस नगरी के बाहर का) पुण्यभद्र नाम का चेइए-चैत्य (यक्षायतन) कोणियराया-उस नगरी में कोणिक राजा राज्य करता था और उसकी धारणी देवी-धारणी नाम की राजमहिषी थी वण्णओ-उनका वर्णन करना चाहिए सामी समोसढे-भगवान् महावीर स्वामी पूर्णभद्र चैत्य में विराजमान हो गए परिसा-परिषत् निग्गया-नगरी से निकल कर भगवान् के पास उपदेश सुनने के लिए गई धम्मो-श्री भगवान् ने धर्म कहिओ-कथन किया परिसा-परिषत् धर्म-कथा सुनकर पडिगया-अपने स्थान को चली गई। मूलार्थ-उस काल और उस समय में चम्पा नाम की एक नगरी थी / उसके बाहर पुण्यभद्र नाम का एक चैत्य (बाग) था / उस नगरी में कोणिक नाम का राजा राज्य करता था / उसकी धारणी नाम की महिषी (पट्टरानी) थी / श्री भगवान् (चैत्य में) विराजमान हुए / परिषत् भगवान् के पास (उपदेश सुनने) गई / भगवान् ने धर्म का उपदेश दिया और परिषत् अपने स्थान को लौट गई / टीका-इस सूत्र में संक्षेप से इस दशा का उपोद्धात वर्णन किया गया है / चतुर्थ आरक के अन्त में एक चम्पा नाम की नगरी थी / उसके बाहर ईशान कोण में पुण्यभद्र नाम का एक उद्यान था / उसमें पुण्यभद्र नाम के एक यक्ष का आयतन भी था / उस समय उस नगरी में कोणिक नाम का राजा राज्य करता था / उसकी धारिणी नाम की राज-महिषी थी | श्री श्रमण भगवान् महावीर स्वामी अपने शिष्य-गण के साथ पुण्यभद्र * उद्यान में विराजमान हुए / नगर वालों ने सुना और वे श्री भगवान् के मुख से धर्म-कथा सुनने की चाहना से उनके पास आये | श्री भगवान् ने धर्म-कथा की और जनता उसको सुन कर अपने स्थान को लौट गई / -