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________________ or .o - अष्टमी दशा हिन्दीभाषाटीकासहितम् / . 2619 उपदंसेति-उपदर्शित किया गया है / त्ति बेमि-इस प्रकार मैं कहता हूँ / इति-इस प्रकार पज्जोसणा नाम-पर्युषण नाम्नी अट्ठमी-अष्टमी दसा-दशा समत्ता-समाप्त हुई / ___मलार्थ-उस काल और उस समय में श्रमण भगवान महावीर स्वामी के पांच कल्याणक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हुए / जैसे-उत्तराफाल्गुनी में . देव-लोक से च्युत होकर गर्भ में उत्पन्न हुए, उत्तराफाल्गुनी में गर्भ से गर्भ में संहरण किये गए, उत्तराफाल्गुनी में जन्म हुआ, उत्तराफाल्गुनी में मुण्डित होकर घर से अनगारिता (साधु-वृत्ति) ग्रहण की और उत्तराफाल्गुनी में ही अनन्त, प्रधान, निर्व्याघात, निरावरण, कृत्स्न, प्रतिपूर्ण, केवल-ज्ञान और केवल-दर्शन प्राप्त किये / भगवान् स्वाति नक्षत्र में मोक्ष को प्राप्त हुए / इसका पुनः-२ उपदेश किया गया है / इस प्रकार मैं कहता हूं। पर्युषणा नाम वाली आठवी.दशा समाप्त हुई / टीका-आठवी दशा में पर्युषणा कल्प का वर्णन किया गया है क्योंकि जब आठ मास पर्यन्त विहार हो चुकता है तो वर्षा ऋतु के आजाने पर उसको व्यतीत करने के लिए मुनि को किसी ग्राम या नगर में ठहर जाना होता है / उसका ही यहां पर श्रीभगवान् महावीर स्वामी के पांच कल्याणकों के नक्षत्रों के नाम-संकीर्तन के संकेत से वर्णन किया गया है / इस समय अपनी क्रियाओं की पूर्णतया पूर्ति करनी चाहिए / इसीलिए इस दशा का नाम ‘पर्युषणा कल्प' रखा गया है / इस समय 'जिन' चारित्रादि का अध्ययन अवश्यमेव करना चाहिए / . सामान्यतः इस सूत्र में इतना ही कहा गया है कि अवसर्पिणी काल के चतुर्थ आरक के अन्त में और निर्विभाज्य (काल-विभाग) समय में श्री श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के पांच कल्याणक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हुए / - अब प्रश्न यह उपस्थित होता है कि भगवत्' शब्द का वास्तव में क्या अर्थ है ? उत्तर में कहा जाता है कि 'भग' शब्द के चौदह अर्थ हैं, जिन में बारह तो 'मतुप्' प्रत्यय के लगने से सिद्ध होते हैं और अवशिष्ट दो अर्थ श्रीभगवान् के साथ लगते ही नहीं हैं / वे अर्थ हैं:-अर्क, ज्ञान, माहात्म्य, यश, वैराग्य, मुक्ति, रूप, वीर्य, प्रयत्न, इच्छा, श्री, धर्म, ऐश्वर्य और योनि / इन चौदह में से 'अर्क' और 'योनि' को छोड़ कर बाकी सब गुणों -
SR No.004500
Book TitleDasha Shrutskandh Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatmaram Jain Dharmarth Samiti
Publication Year2001
Total Pages576
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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