________________ - सप्तमी दशा हिन्दीभाषाटीकासहितम् / 2579 वक्ष्यमाण सूत्र में वर्णन किया जाता है कि यदि मुनि के उपाश्रय में स्त्री और पुरुष आ जायँ तो उसको क्या करना चाहिए :____मासियं भिक्खु-पडिम पडिवन्नस्स अणगारस्स इत्थी वा पुरिसे वा उवस्सयं उवागच्छेज्जा, से इत्थीए वा पुरिसे वा णो से कप्पति तं पडुच्च निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा / ____ मासिकी भिक्षु-प्रतिमा प्रतिपन्नस्य स्त्री वा पुरुषो वोपाश्रयमुपागच्छेत्, सा स्त्री वा पुरुषो वा नो स (भिक्षुः) कल्पते तं प्रतीत्य निष्क्रान्तुं वा प्रवेष्टुं वा / . . ___ पदार्थान्वयः-मासियं-मासिकी भिक्खु-पडिमं-भिक्षु-प्रतिमा पडिवन्नस्स-प्रतिपन्न अनगार के समीप उवस्सयं-उपाश्रय में इत्थी वा-स्त्री पुरिसे वा-या पुरुष उपागच्छेज्जा–आ जायं, से-वह इत्थीए वा-स्त्री हो अथवा पुरिसे वा-पुरुष हो से-उस प्रतिमाधारी मुनि का तं-उस स्त्री या पुरुष की पडुच्च-अपेक्षा से निक्खमित्तए-उपाश्रय से बाहर निकलना अथवा पविसत्तए-बाहर से भीतर प्रवेश करना णो कप्पति-योग्य नहीं है / ___मूलार्थ-मासिकी भिक्षु-प्रतिमा-प्रतिपन्न मुनि के उपाश्रय में यदि स्त्री या पुरुष आ जायं तो उनको देखकर उसको उपाश्रय के बाहर जाना और बाहर से भीतर आना उचित नहीं / टीकाइस सूत्र में वर्णन किया गया है कि यदि उपाश्रय में कोई असभ्य व्यवहार होता हो तो मुनि को उस समय क्या करना चाहिए / जैसे-प्रतिमा-धारी मुनि किसी शून्य स्थान में ठहरा हो, यदि वहां कोई स्त्री या पुरुष मैथुन सेवन के लिए आ जायं तो मुनि यदि बाहर हो तो भीतर नहीं जा सकता और यदि भीतर हो तो बाहर नहीं आ सकता / किन्तु उसको उदासीन भाव अवलम्बन कर स्वाध्याय-वृत्ति में रहना ही योग्य है / यदि साधु के जाने से पहले ही उस स्थान पर स्त्री और पुरुष मैथुन क्रीड़ा करते हों तो मुनि को न तो उस स्थान पर जाना ही उचित है, नाही वहां ठहरना / अब सूत्रकार अग्निकाय की अपेक्षा से उपाश्रय से बाहर निकलने के विषय में कहते /