________________ है षष्ठी दशा. . हिन्दीभाषाटीकासहितम् / 231 तस्य नु गृहपति-कुलं पिण्डपात-प्रतिज्ञयानुप्रविष्टस्य कल्पत एवं वदितुम् "श्रमणोपासकाय प्रतिमा-प्रतिपन्नाय भिक्षां प्रयच्छत / " तन्न्वेतादृशेन विहारेण विहरन्तं कश्चिद् दृष्ट्वा वदेत् "कः आयुष्मन् ! त्वं वक्तव्यः", "श्रमणोपासकः प्रतिमाप्रतिपन्नोऽहमस्मीति" वक्तव्यं स्यात् / स चैतादृशेन विहारेण विहरञ्जघन्येनैकाहं वा द्वयहं वा व्यहं वोत्कर्षेणैकादश मासान् विहरेत् / एकादश्युपासक-प्रतिमा / / 11 / / एता खलु ताः स्थविरैर्भगवद्भिरेकादशोपासक-प्रतिमाः प्रज्ञप्ता इति ब्रवीमि / . षष्ठी दशा समाप्ता / पदार्थान्वयः-तस्स-उसके गाहावइ-कुलं-गृहपति के कुल में पिंडवाय-पडियाए-भिक्षा / के लिए अणुप्पविट्ठस्स-प्रवेश करने पर एवं-इस प्रकार वदित्तए-बोलना कप्पति-योग्य है, जैसे-समणोवासगस्स-श्रमणोपासक, पडिमा-पडिवन्नस्स-जिसको प्रतिमा की प्राप्ति हुई है, भिक्खं-भिक्षा दलयह-दो च–फिर एवं-अवधारण अर्थ में है तं-उसको एयारूवेण-इस प्रकार के विहारेण-विहार से विहरमाणेणं-विचरते हुए केइ-कोई-पासित्ता-देखकर वदिज्जा-कहे आउसो-हे आयुष्मान ! के-कौन तुमं वत्तव्वं सिया-तुम कौन हो अर्थात् तुम्हारा क्या स्वरूप है ? तब वह कहे कि समणोवासए-श्रमणोपासक, पडिमा-पडिवण्णए-जिसको प्रतिमा की प्राप्ति हुई है, अहमंसि-मैं हूं त्ति-इस प्रकार वत्तव्वं सिया-मेरा स्वरूप है अर्थात् मैं प्रतिमाधारी श्रावक हूं | से-वह फिर एयारूवेण-इस प्रकार के विहारेण-विहार से विहरमाणे-विचरता हुआ जहन्नेण-जघन्य से एगाहं वा-एक दिन अथवा दुयाहं वा-दो दिन अथवा तियाहं वा-तीन दिन उक्कोसेण-उत्कर्ष से एक्कारस मासे-एकादश मास पर्यन्त विहरेज्जा-विचरे या विचरता है / एकादसमा यही ग्यारहवीं उवासग-पडिमा-उपासक-प्रतिमा है / एयाओ-ये खलु-निश्चय से ताओ-वे थेरेटिं-स्थविर भगवंतेहि-भगवन्तों ने एक्कारस-ग्यारह उवासग-पडिमा-उपासक प्रतिमाएं पण्णत्ताओ-प्रतिपादन की हैं ति बेमि-इस प्रकार मैं कहता हूँ इति-इस प्रकार छठा-छठी दसा-दशा समत्ता-समाप्त हुई /