________________ है षष्ठी दशा हिन्दीभाषाटीकासहितम् / 223 वा-तीन दिन जाव-यावत् उक्कोसेण-उत्कर्ष से दस मासे-दश मास पर्यन्त विहरेज्जा-विचरे / से तं-यहि दसमा-दशवी उवासग-पडिमा-उपासक-प्रतिमा है / मूलार्थ-इसके अनन्तर दशवीं उपासक-प्रतिमा प्रतिपादन करते हैं। इस प्रतिमा को ग्रहण करने वाले की सर्व-धर्म-विषयक रुचि होती है / वह पूर्वोक्त सब गुणों से युक्त होता है / वह उद्दिष्ट-भक्त का भी परित्याग कर देता है / वह सिर के बालों का क्षुर से मुण्डन कर देता है किन्तु शिखा अवश्य धारण करता है | जब उसको कोई एक या अनेक बार बुलाता है तो वह दो ही उत्तर दे सकता है-जानने पर मैं अमुक विषय जानता हूँ और न जानने पर मैं इसको नहीं जानता / इस प्रकार के विहार से विचरता हुआ जघन्य से एक दिन, दो दिन या तीन दिन यावत् उत्कर्ष से दश मास पर्यन्त विचरता है / यही दशवी उपासक-प्रतिमा है / टीका-इस सूत्र में दशवी प्रतिमा का विषय वर्णन किया है / जो व्यक्ति इस प्रतिमा को धारण करता है वह पूर्वोक्त नौ प्रतिमाओं के सम्पूर्ण नियमों का निरतिचार से पालन करता है / वह उद्दिष्ट-भक्त का भी परित्याग कर देता है अर्थात् अपने निमित्त बनाये हुए भोजन को भी ग्रहण नहीं करता / कहने का तात्पर्य यह है कि वह सावध योग का सर्वथा प्रत्याख्यान कर देता है / वह क्षुर से मुण्डित होता है, किन्तु गृहस्थ के चिन्ह रूप शिखा को अवश्य धारण करता है / इस कथन से यह सिद्ध होता है कि गृहस्थ के लिए जिस प्रकार शिखा रखना आवश्यक हे उसी प्रकार यज्ञोपवीत या जिनोपवीत आवश्यक नहीं / क्योंकि यदि वह भी आवश्यक होता तो सूत्रकार उसका भी वर्णन अवश्य करते / दशवी प्रतिमाधारी के लिए नियम होता है कि वह एक या अनेक बार किसी विषय में पूछे जाने पर केवल दो प्रकार के उत्तर दे सकता है-यदि वह उस पदार्थ को जानता है तो कह सकता है मैं इसको जानता हूँ, यदि नहीं जानता तो कह दे कि मैं नहीं जानता / कहने का तात्पर्य यह है कि यदि उसका कोई. सम्बन्धी उसके पास आकर पूछे कि अमुक स्थान पर जा धन आदि पदार्थ निक्षिप्त हैं क्या उनके विषय में आप कुछ जानते हैं ? यदि वह जानता है तो उसे कहना चाहिए कि मैं जानता हूं, यदि नहीं जानता हो तो कह दे कि मैं नहीं जानता / उसको हां या ना ही में उत्तर देना चाहिए / इससे अधिक कहने की उसको आज्ञा नहीं / इस विषय में वृत्तिकार भी यही