________________ से 222 . दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् षष्ठी दशा अब सूत्रकार दशवी प्रतिमा का विषय वर्णन करते हैं: अहावरा दसमा उवासग-पडिमा | सव्व-धम्म-रुई यावि भवति / जाव उद्दिट्ट-भत्ते से परिण्णाए भवति / से णं खुर-मुंडए वा सिहा-धारए वा / तस्स णं आभट्ठस्स समाभट्ठस्स वा कप्पंति दुवे भासाओ भासित्तए, जहा-जाणं वा जाणं, अजाणं वा णो जाणं / से णं एयारूवेण विहारेण विहरमाणे जहन्नेण एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उक्कोसेण दस मासे विहरेज्जा | से तं दसमा उवासग-पडिमा / / 10 / / अथापरा दशम्युपासक-प्रतिमा / सर्व-धर्म-रुचिश्चापि भवति / यावदुद्दिष्ट-भक्तं तस्य परिज्ञातं भवति / क्षुर-मुण्डितो वा शिखा-धारको वा | तस्य नु भाषितस्य संभाषितस्य वा कल्पेते द्वे भाषे भाषितुम्, यथा जानन्नहं जाने, अजानन्न जाने / स चैतादृशेन विहारेण विहरञ्जघन्येनैकाहं वा द्वयहं वा व्यहं वोत्कर्षेण दश मासान् विहरेत् / सेयं दशम्युपासक-प्रतिमा / / 10 / / पदार्थान्वय-अहावरा-इसके अनन्तर दसमा दशवीं उवासग-पडिमा-उपासक-प्रतिमा प्रतिपादन करते हैं / इस प्रतिमा वाले की सव्व-धम्म-रुई-सर्व-धर्म-विषयक रुचि यावि भवति होती है / जाव-यावत् उद्दिठ्ठ-भत्ते-उद्दिष्ट-भक्त से-उसका परिण्णाए-परित्यक्त भवति-होता है | से-वह खुर-मुंडए-क्षुर से मुण्डित होता है वा–अथवा सिहा-धारए-शिखा धारण करता है | तस्स-उसको आभट्ठस्स-एक बार बुलाने पर वा-अथवा समाभट्ठस्स-बार-बार बुलाने पर दुवे-दो भासाओ-भाषाएं भासित्तए–भाषण करने के लिए कप्पंति-योग्य हैं / जहा-जैसे जाणं वा-जिस पदार्थ को जानता है तो कह सकता है कि मैं जाणे-जानता हूं वा-अथवा अजाणं-न जानता हुआ णो जाणं-मैं नहीं जानता हूं | से-वह एयारूवेण-इस प्रकार के विहारेण-विहार से विहरमाणे-विचरता हुआ जहन्नेण-जघन्य से एगाहं वा-एक दिन अथवा दुयाहं वा-दो दिन अथवा तियाहं -