________________ षष्ठी दशा हिन्दीभाषाटीकासहितम् / 2153 अब सूत्रकार छठी प्रतिमा का विषय वर्णन करते हैं: अहावरा छट्ठी उवासग-पडिमा / सव्व-धम्म-रुई यावि भवति / जाव से णं एगराइयं उवासग-पडिमं अणुपालित्ता भवति / से णं असिणाणए, वियड-भोई, मउलि-कडे, दिया वा राओ वा बंभयारी, सचित्ताहारे से अपरिणाए भवइ / से णं एयारूवेण विहारेण विहरमाणे जहन्नेण एगाहं, दुयाह, तियाहं वा जाव उक्कोसेण छमासे विहरेज्जा | छट्ठी उवासग-पडिमा / / 6 / / अथापरा षष्ठयुपासक-प्रतिमा / सर्व-धर्म-रुचिश्चापि भवति / यावत् स एकरात्रिकीमुपासक-प्रतिमामनुपालयिता भवति / स चास्नातः, विकट-भोजी, मुकुलीकृतः, दिवा वा रात्रौं वा ब्रह्मचारी / सचित्ताहारस्तस्यापरिज्ञातो भवति / सचैतद्रूपेण विहारेण विहरञ्जघन्येनैकाहंद्वयहंत्र्यहं वा यावदुत्कर्षेण षण्मासान् विहरेत् / षष्ठ्युपासक-प्रतिमा / / 6 / / पदार्थान्वयः-अहावरा-इसके अनन्तर छट्टी-छठी उवासग-पडिमा-उपासक-प्रतिमा प्रतिपादन की है / इस प्रतिमा वाले की सव्व-धम्म-रुई-सर्व-धर्म-विषयक रुचि यावि भवति-होती है और से-वह जाव-यावत एगराइयं-एक रात्रि की उवासग-पडिम-उपासक-प्रतिमा को अणुपालित्ता-अनुपालन करने वाला भवति होता है / से-वह असिणाणए-स्नान रहित वियड-भोई-दिन और रात्रि में ब्रह्मचर्य पालन करने वाला सचित्ताहारे-सचित्ताहार से-उसका अपरिण्णाए-परित्यक्त नहीं होता से-वह एयारूवेण-इस प्रकार के विहारेण-विहार से विहरमाणे-विचरता हुआ जहन्नेण-न्यून से न्यून एगाह-एक दिन दुयाह-दो दिन वा-अथवा तियाहं-तीन दिन जाव-यावत् / उक्कोसेण-अधिक छमासे-छ: मास तक विहरेज्जा-विचरे अर्थात छ: मास पर्यन्त इस प्रतिमा का पालन करता है / यही छट्ठी उवासग-पडिमा-छठी उपासक-प्रतिमा है / मूलार्थ-इसके अनन्तर छठी उपासक-प्रतिमा प्रतिपादन करते हैं | जो छठी प्रतिमा ग्रहण करता है उसकी सर्व-धर्म-विषयक रुचि होती है / -