________________ हो षष्ठी दशा - हिन्दीभाषाटीकासहितम 166 से भवइ महिच्छे, जाव उत्तर-गामिए नेरइए, सुक्क-पक्खिए, आग-मेस्साणं सुलभ-बोहिए यावि भवइ / से तं किरिया-वादी / अथ कोऽसौ क्रिया-वादी चापि भवति? तद्यथा-आस्तिक-वादी, आस्तिक-प्रज्ञः, आस्तिक-दृष्टिः, सम्यग्-वादी, नित्य-वादी, अस्ति परलोक-वादी, अस्ति इह-लोकः, अस्ति परलोकः, अस्ति माता, अस्ति पिता, सन्ति अर्हन्तः, अस्ति चक्रवर्ती, सन्ति बलदेवाः, सन्ति वासुदेवाः, अस्ति सुकृत-दुष्कृत-कर्मणां फल-वृत्ति-विशेषः, सुचीर्णानि कर्माणि सुचीर्ण-फलानि भवन्ति, दुश्चीर्णानि कर्माणि दुश्चीर्ण-फलानि भवन्ति, सफले कल्याण-प्रापके, प्रत्यायन्ति जीवाः, सन्ति नैरयिकाः, सन्ति देवाः, अस्ति सिद्धिः, सोऽयमेवं-वादी, एवं-प्रज्ञः, एवं-दृष्टि-छन्द-राग-मतिनिविष्टश्चापि भवति / स च भवति महेच्छो याव-दुत्तर-गामि-नैरयिकः, शुक्ल-पाक्षिकः, आगमिष्यति काले सुलभ-बोधी चापि भवति / सोऽयं क्रियावादी / . पदार्थान्वयः-से किं तं-वह कौन सा किरिया-वाई-क्रिया-वादी भवति-होता है / (गुरु कहते हैं) तं जहा-जैसे आहिया-वाई-वह आस्तिक-वादी है आहिय-पन्ने-आस्तिक-प्रज्ञ है आहिय-दिट्ठीं-आस्तिक-दृष्टि है सम्मा-वाई-सम्यग्-वादी है निया-वाई-मोक्ष-वादी है संति परलोग-वाई-परलोक मानने वाला है और फिर कहता है कि अत्थि पर-लोगे-परलोक भी है अत्थि अरिहंता-अर्हन्त हैं अत्थि चक्कवट्टी-चक्रवर्ती हैं अत्थि बलदेवा-बलदेव हैं अत्थि वासुदेवा-वासुदेव हैं सुक्कड-सुकृत और दुक्कडाणं-दुष्कृत कम्माणं-कर्मों का फल-वित्ति-विसेसे-फल-वृति विशेष अत्थि है सुचिण्णा कम्मा-शुभ कर्मों के सुचिण्णा-शुभ फला-फल भवंति-होते हैं दुचिण्णा कम्मा-दुष्कर्मों का दुचिण्णा-बुरे फला-फल भवंति-होते हैं कल्लाण-कल्याण या पावए-पाप का सफले-अपना-अपना फल होता है उसी के अनुसार पच्चायति जीवा-परलोक में जीव उत्पन्न होते हैं नेरइया-नारकी जीव अस्थि हैं जाव-यावत् देवा-देव अस्थि हैं सिद्धि-मोक्ष अत्थि है से-वह एवं-इस प्रकार वादी-बोलता है एवं-इस प्रकार उसकी पन्ने-प्रज्ञा है एवं इस प्रकार उसकी दिट्ठी-दृष्टि है