________________ 164 दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् षष्ठी दशा प्रतिमा शब्द का अर्थ अभिग्रह अर्थात् प्रतिज्ञा भी है / जिस प्रकार की प्रतिज्ञा जिस प्रतिमा में होगी उसका यथा-स्थान वर्णन किया जाएगा / यह सब स्याद्वाद के अनुसार वर्णन किया गया है, जो उभय-लोक में हितकारी है / इसी को जैन वान-प्रस्थ भी कहते हैं / श्रावक और उपासक दोनों शब्द बौद्धमत में भी पाए जाते हैं / वहां श्रावक साधु के लिए और उपासक गृहस्थ के लिए प्रयुक्त किया गया है / अब सूत्रकार दशा का आरम्भ करते हुए कहते हैं: सुयं मे आउसं तेणं भगवया एवमक्खायं, इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं एक्कारस उवासग-पडिमाओ पण्णत्ताओ, कयरा खलु ताओ थेरेहिं भगवंतेहिं एक्कारस उवासग-पडिमाओ पण्णत्ताओ? इमाओ खलु ताओ थेरेहिं भगवंतेहिं एक्कारस उवासग-पडिमाओ. पण्णत्ताओ, तं जहाः श्रुतं मया, आयुष्मन् ! तेन भगवतैवमाख्यातम्, इह खलु स्थविरैर्भगवद्भिरेकादशोपासक-प्रतिमाः प्रज्ञप्ताः, कतराः खलु ताः स्थविरैर्भगवदिभरेकादशोपासक-प्रतिमाः प्रज्ञप्ता? इमाः खलु ताः स्थविरैर्भगवद्भिरेकादशोपासक-प्रतिमाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाः पदार्थान्वयः-आउसं-हे आयुष्मन् शिष्य ! मे-मैंने सुयं-सुना है तेणं-उस भगवया भगवान् ने एवं-इस प्रकार अक्खायं-प्रतिपादन किया है इह-इस जिन-शासन में खलु-निश्चय से थेरेहिं-स्थविर भगवंतेहिं-भगवन्तों ने एक्कारस-एकादश उवासग-उपासक की पडिमाओ-प्रतिमाएं पण्णत्ताओ-प्रतिपादन की हैं / (शिष्य ने प्रश्न किया “हे भगवन ! कयरा-कौन सी ताओ-वे थेरेहिं-स्थविर भगवंतेहिं-भगवन्तों ने एक्कारस-एकादश उवासग-उपासक की पडिमाओ-प्रतिमाएं पण्णत्ताओ-प्रतिपादन की हैं ? (गुरू उत्तर देते हैं) इमाओ-ये खलु-निश्चय से ताओ-वे थेरेहि-स्थविर भगवंतेहिं-भगवन्तों ने एक्कारस-एकादश उवासग-उपासकों की पडिमाओ-प्रतिमाएं पण्णत्ताओ-प्रतिपादन की हैं तं जहा-जैसे: e