________________ " तृतीय दशा हिन्दीभाषाटीकासहितम् / 635 शैक्षो रात्निकस्य पुरतो गन्ता भवत्याशातना शैक्षस्य / / 1 / / शैक्षो रात्निकस्य सपक्षं गन्ता भवत्याशातना शैक्षस्य / / 2 / / शैक्षो रात्निकस्यासन्नं गन्ता भवत्याशातना शैक्षस्य / / 3 / / शैक्षो रात्निकस्य पुरतः स्थाता भवत्याशातना शैक्षस्य / / 4 / / शैक्षो रात्निकस्य सपक्षं स्थाता भवत्याशातना शैक्षस्य / / 5 / / शैक्षो रात्निकस्यासन्नं स्थाता भवत्याशातना शैक्षस्य / / 6 / / शैक्षो रात्निकस्य पुरतो निषीदिता भवत्याशातना शैक्षस्य / / 7 / / शैक्षो रात्निकस्य सपक्षं निषीदिता भवत्याशातना शैक्षस्य / / 8 / / शैक्षो रात्निकस्यासन्नं निषीदिता भवत्याशातना शैक्षस्य / / 6 / / पदार्थान्वयः-सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के पुरओ-आगे गंता-जाए तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है / सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर. के सपक्खं-सम-श्रेणि में गंता-गमन करे तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है / सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के आसन्न-समीप होकर गंता-गमन करे तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है / सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के पुरओ-आगे चिट्टित्ता-खड़ा हो तो सेहस्स-शिष्य को आंसायणा-आशातना भवइ-होती है | सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के सपक्ख-सम-श्रेणी में चिट्टित्ता-खड़ा हो तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है | सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्राकर के आसन्नं-अत्यन्त समीप होकर चिट्टित्ता-खड़ा हो तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है | सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के पुरओ-आगे निसीइत्ता-बैठे तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है | सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के सपक्खं-सम-श्रेणी में निसीइत्ता-बैठे तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है | सेहे-शिष्य रायणियस्स-रत्नाकर के आसन्नं अत्यन्त समीप निसीइत्ता-बैठे तो सेहस्स-शिष्य को आसायणा-आशातना भवइ-होती है /