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________________ 444444444444444454544 % % प्रकाशकीय % % % % % % % % % - जैन धर्म दिवाकर, आगम महोदधि आचार्य सम्राट् श्री आत्माराम जी महाराज अपने युग के एक धुरंधर विद्वान और आगमों के प्रकाण्ड पण्डित मुनिराज थे। उन्होंने अपने जीवन काल में कई आगमों पर बृहद् टीकाएं लिखीं और कई अन्य ग्रन्थों का भी प्रणयन किया। आचार्य श्री जी की रचनाएं जैन संघ की अमूल्य धरोहर हैं। पच्चीस सौ वर्ष पूर्व भगवान महावीर द्वारा दिए गए धर्म-संदेशों को पूज्य आचार्य श्री जी ने वार्तमानिक भाषा में अनुवादित और व्याख्यायित करके वर्तमान जन-समाज पर महान उपकार किया है। उनके इस महान उपकार का जनमानस सदा-सदा ऋणी रहेगा। ____पूज्य आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज के ही पौत्र-शिष्य आचार्य सम्राट् श्री शिव मुनि जी महाराज ने आचार्य श्री जी के समग्र टीका साहित्य को प्रकाशित कराने का भागीरथ संकल्प लिया है। समग्र चतुर्विध श्रीसंघ उनके संकल्प का अनुगामी है। फलतः ‘आत्म-ज्ञान-शिव आगम प्रकाशन समिति' का गठन किया गया। उक्त समिति के तत्वावधान में प्रकाशित होने वाला 'श्री उपासकदशांग सूत्र' प्रथम आगम है। . . समिति का यह संकल्प है कि वह श्रद्धेय आचार्य सम्राट् श्री शिव मुनि जी महाराज के दिशानिर्देशन में द्रुत गति से पूज्य आचार्य सम्राट् श्री आत्माराम जी महाराज की समस्त श्रुत-साधना को प्रकाशित करे। हम समझते हैं ऐसा करके ही हम आचार्य प्रवर के महान उपकारों के यत्किंचित् पात्र बन सकते हैं। प्रकाशक 'आत्म-ज्ञान-शिव आगम प्रकाशन समिति' (लुधियाना) 'भगवान महावीर रिसर्च एण्ड मेडीटेशन सैंटर' 來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來 % % % % % % % % % % % RRRRRRRRRRRRRR ,
SR No.004499
Book TitleUpasakdashang Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size9 MB
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