________________ पत्नी का नाम उत्पला था। एक बार भगवान महावीर श्रावस्ती आये और शंख आदि श्रावक धर्मोपदेश सुनने गए। धर्मकथा के अन्त में शंख ने अपने साथियों से कहा- "आओ हम लोग पौषधशाला में रहकर धर्म जागरणा करें। इसके लिए अशन-पान आदि तैयार करा लो'। शंख के साथी भोजन तैयार करने में लग गए, इधर शंख के मन में पौषधोपवास करने का विचार आया और वह ग्यारहवां प्रतिपूर्णपौषध अङ्गीकार करके पौषधशाला में धर्म जागरण करने लगा। साथी भोजन तैयार करके शंख को बुलाने गए तो उसने कहा, आप लोग इच्छापूर्वक भोजन करके पौषध कीजिए, मैंने तो उपवास कर लिया है। साथियों को शंख की यह बात अच्छी नहीं लगी। दूसरे दिन भगवान महावीर की धर्मकथा के बाद इस बात की चर्चा होने लगी तो भगवान ने कहा कि शंख की निन्दा मत करो, वह उच्चकोटि का श्रमणोपासक है और धर्मानुष्ठान में आगे बढ़ रहा है। ___ कल्पसूत्र में भगवान महावीर के श्रावकों की संख्या बताते समय शंख और महाशतक का प्रमुख रूप से उल्लेख है। | श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 383 / परिशिष्ट