________________ 4. सुरादेव–१८ करोड़, प्रत्येक क्षेत्र में छः करोड़। 5. चुल्लशतक–१८ करोड़, प्रत्येक क्षेत्र में छः करोड़। 6. कुण्डकौलिक–१८ करोड़, प्रत्येक क्षेत्र में छः करोड़। 7. सद्दालपुत्र–३ करोड़, प्रत्येक में एक करोड़। 8. महाशतक–२४ करोड़ निजी / आठ करोड़ रेवती का था। 6. नन्दिनीपिता–१२ करोड़, प्रत्येक क्षेत्र में चार करोड़। 10. सालिहीपिया–१२ करोड़, प्रत्येक क्षेत्र में चार करोड़। अभिग्रह अर्थात् भोग्य वस्तुओं की मर्यादा आनन्द आदि श्रावकों ने नीचे लिखी 21 बातों में मर्यादा कर रखी थी१. उल्लवण—स्नान के पश्चात् अंग पोंछने के काम में आने वाले अंगोछे या तौलिया का। 2. दन्तवण—दातुन / 3. फले-फल। 4. अब्भंगण अभ्यंगन अर्थात् मालिश करने के तेल / 5. उब्वट्टण-उबटन अर्थात् अङ्गों पर मलने के लिए सुगन्धित आटा / 6. नहाण स्नान के लिए पानी का परिमाण / 7. . वत्थ वस्त्र, पहनने के कपड़े। 8. विलेपण–विलेपन, चन्दन-कस्तूरी आदि लेप करने के द्रव्य / 6. पुप्फे—पुष्प-फूल माला आदि। 10. आभरण—आभूषण-जेवर आदि / 11. धूव धूपबत्ती आदि कमरे को सुगन्धित करने वाली वस्तुएं। 12. पेज्ज–पेय-शरबत-ठंडाई आदि पीने की वस्तुएं / 13. भक्ख—भक्ष्य-पकवान्न या मिठाई। 14. ओयण ओदन अर्थात् चावल / (यह उन दिनों बिहार का मुख्य भोजन था।) 15. सूय—सूप-दालें। 16. घए—घृत-धी। 17. साग—शाक-पकाई जाने वाली सब्जियां / श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 367 / संग्रह-गाथाएं