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________________ (48) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध अन्तर, नाक, गले का मणका और भुजाएँ ये पाँच जिसके लंबे हो; उस पुरुष की आयु लंबी होती है, उसे बहुत धन प्राप्त होता है और वह पराक्रमी होता है। तथा ललाट, पेट और मुख ये तीन जिसके बड़े होते हैं, वह पुरुष राजा होता है। इसी प्रकार ग्रीवा, जंघा और पुरुषचिह्न ये तीन जिसके लघु होते हैं, वह भी राजा होता है तथा बोलने का स्वर, नाभि और सत्व ये तीन जिसके गंभीर होते हैं; वह पुरुष पृथ्वीपति होता है या प्रधान मंत्री होता है। इस तरह जिस पुरुष में जैसे लक्षण होते हैं. वैसा ही उसका आचार भी होता है; वैसा ही गुण भी होता है। ये प्रकारान्तर से बत्तीस लक्षण कह दिखाये। ___ अब अन्य भी कुछ लक्षण कहते हैं- पद्म, वज्र, अंकुश, छत्र, शंख ये जिसके हाथ-पैर में दीखते हैं, वह पुरुष लक्ष्मीपति होता है। जिसके नाखून चिकने ताँबे के रंग जैसे होते हैं; वह पुरुष सुखी होता है। तथा जिसके चमकदार, उज्ज्वल, अनारवत् स्नेहनिबिड पूरे बत्तीस दाँत होते हैं, वह राजा बनता है। जिसके इकतीस दाँत होते हैं, वह भोगी होता है। तीस दाँत वाला मध्यम कहलाता है और जिसके तीस से कम दाँत होते हैं, वह सामान्य पुरुष माना जाता है। इसी प्रकार जो पुरुष अत्यन्त ठिगना होता है, जो अत्यन्त लंबा होता है, जो अत्यन्त मोटा होता है, जो अत्यन्त दुर्बल होता है, जो अत्यन्त काला होता है तथा जो अत्यन्त गौरवर्ण वाला होता है, इन छह पुरुषों में सत्व होता है। सर्वं सत्वे प्रतिष्ठितं इति वचनात्। / ___ जिसके मस्तक में दाहिनी ओर सीधा भ्रमर होता है, उसे शुभ जानना और उल्टा भ्रमर होता है, उसे अशुभ जानना। तथा जिसके हाथ में एक भी रेखा नहीं होती या बहुत रेखाएँ होती हैं; उस पुरुष का आयुष्य अल्प होता है। जिस पुरुष के देवपूजा की उँगली के अन्तिम पर्व से कुछ अधिक ऊँची कनिष्ठिका उँगली होती है, वह पुरुष धनवान होता है। उसकी माता का पक्ष अधिक होता है। जिसके मणिबंध से पितृरेखा तथा करतल से वित्तरेखा और आयु रेखा संपूर्ण होती है; उस पुरुष का गोत्र, धन तथा आयुष्य ये संपूर्ण होते हैं। अथवा आयुष्यरेखा जितनी उँगलियाँ पार करे, उतनी पच्चीसी आयुष्य के वर्षों की जानना। जिसके अंगूठे के मध्य भाग में यव
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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