SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (35) था तथा श्री मुनिसुव्रतस्वामी और श्री नेमिनाथ भगवान ये दो तीर्थंकर श्री हरिवंश कुल में हुए। उनका गौतम गोत्र था। इस तरह सब मिल कर तेईस तीर्थंकर तो हो चुके। फिर जब इस अवसर्पिणी से संबंधित चौथे आरे के पचहत्तर वर्ष ऊपर साढे आठ महीने काल शेष रहा; तब श्रमण भगवान श्री महावीर अन्तिम तीर्थंकर ब्राह्मणकुंडग्राम नगर में ऋषभदत्त नामक ब्राह्मण, जिसका कोडाल गोत्र है; उसके देवानंदा नामक ब्राह्मणी भार्या है; उसकी कोख में मध्यरात्रि के समय उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में चन्द्रमा का योग आने पर देव से संबंधित आहार, देव का भव और देव का शरीर त्याग कर अवतरित हुए। . . श्री महावीर प्रभु के सत्ताईस भव ___अब भरत चक्रवर्ती के पूछने से श्री ऋषभदेव भगवान ने कहा था कि चौबीसवें तीर्थंकर श्री महावीरस्वामी होंगे। यह बात किस भव की है? यह बताने के लिए प्रथम श्री महावीरस्वामी के सत्ताईस भव कहते हैं__इस जंबूद्वीप के पश्चिम महाविदेह में प्रतिष्ठानपत्तन के राजा के गाँव की सम्हाल लेने वाला नयसार नामक एक चाकर था। एक दिन राजा के हुक्म से वह अनेक वाहन और चाकर साथ ले कर काष्ठ लाने के लिए जंगल में गया। वहाँ वह स्वयं एक पेड़ के नीचे जा बैठा और अन्य चाकर लकड़ी काटने का उद्यम करने लगे। इतने में सार्थ से भूले पड़े कई साधु वहाँ आ पहुँचे। नयसार ने उन्हें देखा। तब हर्षवन्त हो कर उनके आगे जा कर वन्दन कर के वह उन्हें अपने स्थान पर बुला लाया और उसने उनको भक्तिभाव से आहार वहोराया। फिर साधु ने उसे धर्मोपदेश दिया, जिसे सुन कर वह समकितवन्त हुआ। फिर उसने साधु-मुनिराजों को सही मार्ग बता कर बिदा किया। यह नयसार का प्रथम भव जानना।।१।। जब से समंकित प्राप्त हुआ, तब से भव की गिनती होती है। समकितप्राप्ति के पूर्व तो जीव ने संसार में अनन्त भव किये हैं। उनकी कोई गिनती नहीं होती। वे गिनती में नहीं लिये जाते। फिर नयसार वहाँ से आयु क्षय कर के
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy