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________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (419) करें ऐसा नियम है। शिष्य पूछता है कि चौमासे के पचास दिन जाने के बाद ही क्यों पर्युषण करें? (1) गुरु कहते हैं कि हे शिष्य! गृहस्थ श्रावक अपने घर को खड़ीप्रमुख से धो कर ऊपर छाया कर के घठारते हैं, मठारते हैं, परनालाप्रमुख पानी के मार्ग बनाते हैं, इत्यादिक सब काम गृहस्थ अपने लिए कर लेते हैं और स्वयं उपयोग कर के प्रासुक कर लेते हैं। इस कारण से बरसात के पचास दिन बाद पर्युषण करें। कदाचित् साधु पहले से ही कहे कि मैं चौमासे में रहूँगा, तो वह गृहस्थ साधु के निमित्त घरप्रमुख का आरम्भ करेगा। इसलिए पचास दिन बीतने के बाद साधु कहे कि हम यहाँ चौमासा करेंगे। (2) इस तरह भगवान स्वयं पचास दिन बीतने के बाद पर्युषण करें, तो उनके गणधर भी पचास दिन बीतने के बाद पर्युषण करें। (3) और गणधर पचास दिन बीतने के बाद पर्युषण करें, तो गणधरों के शिष्य भी बरसात के पचास दिन बीतने पर पर्युषण करें। (4) गणधरों के शिष्य पचास दिन बीतने पर पर्युषण करें, तो स्थविर भी बरसात के पचास दिन बीतने पर पर्युषण करें। (5) स्थविर बरसात के पचास दिन बीतने पर पर्युषण करें, तो आज के समय में जो श्रमण निग्रंथ विचरते हैं, वे भी पचास दिन बीतने पर पर्युषण करें। (6) आज वर्तमान श्रमण निग्रंथ बरसात के पचास दिन बीतने पर पर्युषण करें, तो हमारे आचार्य-उपाध्याय भी पचास दिन बीतने पर पर्युषण करें। (7) हमारे आचार्य-उपाध्याय पचास दिन बीतने पर पर्युषण करें, तो हम भी बरसात के पचास दिन बीत जाने पर पर्युषण करते हैं। ____ अपवाद कहते हैं कि भाद्रपद सुदि पंचमी के एक दिन पूर्व अर्थात् भाद्रपद सुदि चतुर्थी के दिन पर्युषण करना कल्पता है, पर भाद्रपद सुदि पंचमी का उल्लंघन कल्पता नहीं है। याने कि इकावनवें दिन संवत्सरी करना कल्पता नहीं है, परन्तु उनचासवें दिन कारण से करना कल्पता है। इसलिए कारण से चतुर्थी की संवत्सरी करना, पर षष्ठी की संवत्सरी तो अपवाद से भी करना नहीं कल्पता। (8) इन आठ आलापों से पर्युषण करने के आश्रय से प्रथम समाचारी जानना।
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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