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________________ (405) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध हुए- 1. आर्य सेनिक, 2. आर्य तापस, 3. आर्य कुबेर और 4. आर्य ऋषिपालित। इन चारों शिष्यों के नाम से अनुक्रम से 1. अज्जसेणिया, 2. अज्जतावसी, 3. अज्ज कुबेरा और 4. अज्ज इसिपालिया ये चार शाखाएँ निकलीं। आर्य सिंहगिरि के चार शिष्य हुए- 1. आर्य धनगिरि, 2. आर्य वज्र, 3. आर्य समित और 4. आर्य अरिहदिन्न। ___ आर्य समित से ब्रह्मद्वीपिका और आर्य वज्र से आर्यवज्री शाखा निकली। गौतम गोत्रीय आर्य वज्र के तीन शिष्य हुए- 1. आर्य वज्रसेन, 2. आर्य पद्म और 3. आर्य रथ। - आर्य वज्रसेन से आर्य नागिली, आर्य पद्म से अज्ज पउमा और आर्य रथ से अज्ज जयन्ती शाखा निकली। वत्स गोत्रीय आर्य रथ के शिष्य कौशिक गोत्रीय आर्य पूसगिरि हुए। उनके शिष्य गौतम गोत्रीय आर्य फल्गुमित्र, उनके शिष्य वासिष्ठ गोत्रीय आर्य धनगिरि, उनके शिष्य कुच्छस गोत्रीय आर्य शिवभूति, उनके शिष्य काश्यप गोत्रीय आर्यभद्र, उनके शिष्य काश्यप आर्य नक्षत्र, उनके शिष्य काश्यप आर्यरक्ष, उनके शिष्य गौतम गोत्रीय आर्य नाग, उनके शिष्य वासिष्ठ गोत्रीय आर्य जेहिल, उनके शिष्य माढरस गोत्रीय आर्य विष्णु और उनके शिष्य गौतम गोत्रीय आर्य कालक ___ आर्य कालक के दो शिष्य हुए- गौतम गोत्रीय आर्य संपलित और आर्य भद्र। इन दोनों के शिष्य गौतम गोत्रीय आर्य वृद्ध हुए। आर्य वृद्ध के शिष्य गौतम गोत्रीय आर्य संघपालित, उनके शिष्य काश्यप गोत्रीय आर्य हस्ती, उनके शिष्य सुव्रत गोत्रीय आर्य धर्म, उनके शिष्य काश्यप गोत्रीय आर्य सिंह, उनके शिष्य काश्यप आर्य धर्म और उनके शिष्य आर्य संडिल्ल हुए। इस स्थविरावली के अन्त में पीछे से जो नमस्कारात्मक प्राकृत भाषामय गाथा जोड़ी गयी है, उसमें स्थविरों के नाम इस तरह व्यवस्थित किये गये
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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