________________ (382) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध वायु से सूख जाने के कारण साढ़े इकावन पल का मत्स्य होगा। वह वर्तुल के मध्यभाग में नहीं, पर उसके किनारे पर एक तरफ गिरेगा। इसलिए वराहमिहर मिथ्यात्व के योग से इतना झूठ बोल रहा है। यह बात श्रावकों ने जा कर राजा से कही। तब राजा ने कहा कि सच-झूठ की खबर अब तुरन्त पाँच दिन में मालूम हो जायेगी। इतने में पाँचवाँ दिन आ गया। तब वर्षा हुई और श्री भद्रबाहस्वामी के कहने के अनुसार सब बात सत्य हुई। तब राजाप्रमुख सब लोगों ने श्री भद्रबाहुस्वामी के ज्ञान की प्रशंसा की और वराहमिहर की बात कुछ सच्ची व कुछ झूठी हो जाने के कारण उसकी मान्यता कम होने लगी। एक दिन राजा के घर पुत्रजन्म हुआ। वराहमिहर ने उसकी जन्म पत्रिका बना कर उसमें कुमार की आयु एक सौ वर्ष की बतायी। तब सब लोग अक्षत ले कर राजा को बधावा देने गये। अन्यदर्शनी संन्यासी, योगी प्रमुख सब आशीर्वाद देने गये, पर श्री भद्रबाहु नहीं गये। तब वराहमिहर राजा से कहने लगा कि हे राजन्! आपके घर पुत्रजन्म हुआ, यह भद्रबाहु को नहीं रुचा। इसलिए वे आशीर्वाद देने नहीं आये। ___ यह बात भी श्रावकों ने जा कर श्री भद्रबाहुस्वामी से कही। तब भद्रबाहु ने कहा कि बार बार कैसे जाया जा सकता है? एक बार चले जायेंगे। श्रावकों ने कहा कि ऐसा क्यों? तब गुरु ने कहा कि आठवें दिन बिल्ली के योग से कुमार की मृत्यु होगी, तब वहाँ आयेंगे। श्रावकों ने यह बात राजा से कही। फिर राजा ने सब बिल्लियों को गाँव से बाहर निकलवा दिया तथा ऐसा प्रबंध किया कि किसी के घर में या गाँव में बिल्ली न आ सके। पर आठवें दिन दैवयोग से दासी के हाथ से किंवाड़ की ठासणी बालक के सिर पर गिर गयी। इससे बालक की मृत्यु हो गयी। तब वराहमिहर ने कहा कि बालक बिल्ली से तो नहीं मरा। फिर गुरु ने ठासणी पर काष्ठ में बिल्ली के मुख का आकार खुदा हुआ बताया। इससे . वराहमिहर लज्जित हुआ। वह वहाँ से निकल कर अन्य स्थान पर जा कर रहने लगा। वहाँ अज्ञानकष्ट से मर कर व्यन्तर देव हुआ।