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________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (373) फिर दीक्षा लेना, नहीं तो उस किसान की तरह पश्चात्ताप करना पड़ेगा, जिसने गेहूँ भी खोया और गन्ना भी खोया। उस किसान की कथा इस प्रकार है मारवाड़ देश का एक किसान अपने खेत में गेहूँ बो कर मेवाड़ देश में अपनी ससुराल गया। वहाँ सासु ने उसे थाली में रोटियाँ परोसी और साथ में शीरा (काकब) भी परोसा। किसान को शीरा बड़ा स्वादिष्ट लगा। फिर उसने अपने साले से पूछा कि यह शीरा तुम कहाँ से लाये? तब साले ने कहा कि यह हमारे घर में होता है। फिर बहनोई ने पूछा कि कैसे होता है? तब साले ने गन्ना बोने की विधि बतायी। तब किसान ने अपने घर जा कर गन्ना बोने का निश्चय किया। कुछ दिन बाद वह अपने घर गया। घर जा कर वह अपने पहले बोये हुए गेहूँ के खेत को उखाड़ने लगा। तब लोगों ने उससे पूछा कि यह तू क्या कर रहा है? उसने कहा कि मैं इस खेत में गन्ना बोऊँगा। तब लोगों ने उससे कहा कि अपने देश में पानी नहीं है, इसलिए यहाँ गन्ना नहीं ऊगेगा। फिर भी यदि गन्ना बोने की ही तेरी इच्छा हो, तो एक बार यह गेहूँ की फसल पक जाने दे, फिर गन्ना बोना। पर उसने लोगों की बात नहीं मानी और खेत में गन्ना बो दिया। गन्ना थोड़ा ऊगा, पर इतने में कुएँ का पानी खत्म हो गया। इससे जो गन्ना थोड़ा-सा ऊगा था, वह भी सूख गया। तब वह पश्चात्ताप करने लगा। ऐसे ही आप भी पास में रहा हुआ सुख छोड़ कर अन्य नये सुख की कामना करते हैं, पर फिर आप पछतायेंगे। स्त्रियों की ऐसी वाणी सुन कर जंबूकुमार कहेगा कि मैं पूर्वोक्त दृष्टान्त से पश्चात्ताप नहीं करूँगा, पर तुम सब नहीं समझोगी, तो अन्त में पछताओगी। मैं तो ललितांगकुमार की तरह तुम्हारे फन्दे में नहीं पढूंगा। सुनो उसकी कथा 'एक नगर में एक सेठ का पुत्र ललितांगकुमार महारूपवान था। उसे एक दिन उस नगर के राजा की रूपवती रानी ने देखा। फिर वह उसे एकान्त में बुला कर उसके साथ संसार से संबंधित भोग-विलास करने
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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