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________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (317) उनके बाद नौ सौ अस्सीवें वर्ष में पुस्तकलेखन हुआ। ___ (9) नौवें श्री सुविधिनाथ मोक्ष जाने के बाद नौ करोड़ सागरोपम बीतने पर श्री शीतलनाथजी मोक्ष गये। उनके बाद बयालीस हजार तीन वर्ष साढ़े आठ महीने कम एक कोड़ि सागरोपम बीतने पर श्री वीर का निर्वाण हुआ। उसके बाद नौ सौ अस्सीवें वर्ष में पुस्तकलेखन हुआ। (8) आठवें श्री चन्द्रप्रभस्वामी मोक्ष जाने के बाद नब्बे कोड़ि सागरोपम बीतने पर श्री सुविधिनाथजी मोक्ष गये। उनके बाद बयालीस हजार तीन वर्ष साढ़े आठ महीने न्यून दस कोड़ि सागरोपम बीतने के बाद श्री वीर का निर्वाण हुआ। उसके बाद नौ सौ अस्सीवें वर्ष में पुस्तकलेखन हुआ। (7) सातवें श्री सुपार्श्वनाथ मोक्ष जाने के बाद नौ सौ करोड़ सागरोपम बीतने पर श्री चन्द्रप्रभस्वामी मोक्ष गये। उनके बाद बयालीस हजार तीन वर्ष साढ़े आठ महीने न्यून एक सौ करोड़ सागरोपम बीतने के बाद श्री वीर प्रभु का निर्वाण हुआ। उसके बाद नौ सौ अस्सीवें वर्ष में पुस्तकलेखन हुआ। (6) छठे श्री पद्मप्रभजी मोक्ष जाने के बाद नौ हजार करोड़ सागरोपम बीतने पर श्री सपार्श्वनाथजी मोक्ष गये। उनके बाद बयालीस हजार तीन वर्ष साढ़े आठ महीने न्यून एक हजार करोड़ सागरोपम बीतने के बाद श्री वीर प्रभुमोक्ष गये। उनके बाद नौ सौ अस्सीवें वर्ष में पुस्तकलेखन हुआ। (5) पाँचवें श्री समतिनाथजी के निर्वाण के बाद नब्बे हजार करोड़ सागरोपम बीतने पर श्री पद्मप्रभस्वामी का निर्वाण हुआ। उनके बाद बयालीस हजार तीन वर्ष साढ़े आठ महीने न्यून दस हजार करोड़ सागरोपम काल बीतने के बाद श्री महावीरस्वामी मोक्ष गये। उनके बाद नौ सौ अस्सीवें वर्ष में पुस्तकलेखन हुआ। (4) चौथे श्री अभिनन्दनजिन मोक्ष जाने के बाद नौ लाख करोड़ सागरोपम काल बीतने पर श्री सुमतिजिन का निर्वाण हुआ। उनके बाद बयालीस हजार तीन वर्ष साढ़े आठ महीने न्यून एक लाख करोड़ सागरोपम काल बीतने के बाद श्री महावीरजी का निर्वाण हुआ। उसके बाद नौ सौ अस्सीवें वर्ष में पुस्तकलेखन हुआ। (3) तीसरे श्री संभवनाथजी के निर्वाण के बाद दस लाख करोड़
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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