________________ (314) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध सौत को देखने के लिए राजीमती भी क्षपक श्रेणी साध कर, कर्म खपा कर अपने पति से पहले ही मुक्ति में गयीं। श्री अरिष्टनेमि प्रभु का परिवार और निर्वाण श्री अरिष्टनेमि भगवान के अठारह गच्छ और अठारह गणधर हुए तथा उन्हें वरदत्तप्रमुख अठारह हजार साधुओं की संपदा हुई। गुणरूप मणिरत्न के भंडार ऐसी यक्षिणीप्रमुख चालीस हजार साध्वियों की संपदा हुई। नन्दीषेणप्रमुख एक लाख उनहत्तर हजार श्रमणोपासकव्रत के धारक श्रावकों की संपदा हुई। महासुव्रताप्रमुख तीन लाख छत्तीस हजार श्राविकाओं की संपदा हुई। __ श्री अरिष्टनेमि भगवान के जिन तो नहीं, पर जिनसरीखे सब अक्षरानुयोग (चौदह पूर्व) धारण करने वाले चार सौ साधुओं की संपदा हुई, पन्द्रह सौ अवधिज्ञानी साधुओं की संपदा हुई, तथा पन्द्रह सौ वैक्रियलब्धि के धारक साधुओं की संपदा हुई। उन्हें पन्द्रह सौ केवलज्ञानी केवली की संपदा हुई, एक हजार साधु विपुलमती के स्वामी मनःपर्यवज्ञानियों की संपदा हुई तथा आठ सौ वादी साधुओं की संपदा हुई। ____भगवान श्री अरिष्टनेमि के सोलह सौ साधु पाँच अनुत्तर विमानों में पहुँचे, पन्द्रह सौ साधु भगवान की उपस्थिति में सिद्धि पाये और तीन हजार साध्वियाँ भगवान की मौजूदगी में मोक्ष गयीं- उन्होंने सिद्धि प्राप्त की। इस तरह श्री नेमीश्वर भगवान का परिवार जानना। . ____ अरिहंत श्री अरिष्टनेमि के दो प्रकार की अंतगड़ भूमि हुई। उसमें आठ पाट तक मोक्षमार्ग चला। वह युगांतकृत् भूमि जानना तथा भगवान को केवलज्ञान उत्पन्न होने के दो साल बाद कोई साधु सिद्ध हुआ। वह पर्यायान्तकृत् भूमि जानना। उस काल में उस समय में श्री अरिष्टनेमि भगवान तीन सौ वर्ष गृहस्थावास में कुमारावस्था में रहे। उन्होंने चौवन दिन छद्मस्थ पर्याय में दीक्षा पाली तथा चौवन दिन कम सात सौ वर्ष तक केवलपर्याय का पालन