________________ (274) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध अपने ज्ञाति-गोत्रियों से कहा कि मेरी वामारानी की कोख में जब यह पुत्र आया था, तब वामारानी ने शय्या में अपने पास से निकलता हुआ काला साँप देखा था। इस कारण से हमारे इस पुत्र का नाम पार्श्व होवे। यह कह कर उन्होंने 'श्री पार्श्व' यह नाम रखा। ___ पाँच धायों से पालन किये जाने वाले श्री पार्श्वकुमार ने दूज के चन्द्रमा की तरह बढ़ते हुए, माता-पितादिक को प्रसन्न करते हुए अनुक्रम से युवावस्था प्राप्त की। उस समय कुशस्थल नगर के प्रसेनजित राजा को म्लेच्छ लोगों ने घेर लिया था। उसकी सहायता के लिए अश्वसेन राजा जाने लगे। तब पिता को रोक कर श्री पाशवकुमार वहाँ जाने के लिए तैयार हुए। यह देख कर इन्द्र महाराज ने अपना रथ सारथी सहित वहाँ भेजा। उस पर चढ़ कर प्रभु आकाशमार्ग से वहाँ गये। उन्हें देख कर सब म्लेच्छ लोग वहाँ से भाग गये। प्रसेनजित राजा ने भगवान का बहुत सम्मान किया। ___ उस समय नीलवर्ण छबि वाले, नौ हाथ शरीर वाले, युवान अवस्था वाले, एक हजार आठ लक्षणधारक, अत्यन्त रूपवान, . महाकांतिवान, सुन्दर देदीप्यमान और तेजस्वी श्री पार्श्वकुमार को देख कर प्रसेनजित राजा की पुत्री प्रभावती ने कहा कि हे पिताजी ! श्री पार्श्वकुमार के साथ मेरा ब्याह करा दीजिये। यद्यपि प्रभु की विवाह करने की इच्छा नहीं थी, तो भी राजा ने अत्यंत आग्रह कर के अपनी पुत्री का उनके साथ विवाह किया। इस तरह विवाह कर के भगवान घर लौटे। वे प्रभावती के साथ सुखपूर्वक रहने लगे। एक बार वाराणसी नगरी के बाहर कमठ तापस आया। अनेक लोग हाथ में पूजापा ले कर पंचाग्नि तापने वाले उस तापस के पास जाने लगे। झरोखे में बैठे हुए भगवान ने उन्हें देख कर कहा कि ये सब लोग कहाँ जा रहे हैं? उस समय पास में रहा हुआ एक सेवक बोला कि महाराज ! एक दरिद्री ब्राह्मण बचपन में ही मां-बाप मर जाने के कारण, तापस हो कर कमठ नाम धारण कर के घूमता है। वह घूमते-घूमते यहाँ आया है। ये सब