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________________ و 36. ہ or 37. 38. س or س or س 41. س or 42. 133 43. 133 س or 44. 45. or سہ 46. 5.9 or سہ 47. or لسه 48. 49. 50. (12) मूलदेव की कथा वणिक् स्त्री का दृष्टान्त 121 गांगा तेली की हास्य-विनोद-जनक कथा 125 गुणनिष्पन्न नाम स्थापन का मनोरथ 128 माता पर अनुकंपा कर के प्रभु गर्भ में निश्चल रहे 130 प्रभु की निश्चलता से माता को शोक-सन्ताप 130. भगवान गर्भ में एक देश से हिले कलिकाल का दृष्टान्त गर्भ के हिलने से माता को प्रमोद गर्भ में ही प्रभु का अभिग्रह और गर्भ प्रतिपालन त्रिशलामाता के दोहद (मनोरथ) भगवान श्री महावीरस्वामी का जन्म 138 पंचम व्याख्यान छप्पन्न दिक्कुमारी और सुरेन्द्रकृत जन्मोत्सव .140 अभिषेक-कलशों की संख्या और परिमाण इन्द्र का संशय दूर करने के लिए प्रभु ने चरणांगुष्ठ से सुमेरुपर्वत कंपायमान किया, तीर्थंकरों का बल-वर्णन , सिद्धार्थ राजा के भवन में वसुधारादिक वृष्टि पुत्रजन्म की बधाई और बन्दीमोचनादिक 150 बालक को चन्द्र-सूर्य के दर्शन कराने की विधि .. 153 भोजन-विधि 154 प्रकारान्तर से भोजन और आभरण की विधि प्रभु का नाम-स्थापन 162 प्रभु की आमलकी क्रीड़ा व देव पर विजय लेखनशाला-महोत्सव 165 अथ सार्थ भले प्रकरणम् 170 प्रभु का विवाह व परिवार 175 प्रभु को माता-पिता का वियोग, बड़े भाई के कहने से सचित्त-परिहारी के रूप में दो वर्ष तक पुनः घर में रहे 176 भगवान का दिया हुआ वार्षिक दान और उसकी महिमा .. 177 भगवान का दीक्षा-महोत्सव और स्त्रियों का मनोरंजक उत्साह 180 145 10 149 52. 53. 54. 158 164 55. 56. 57. 58. 59. 60. 61. 62. 63.
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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