________________ 22. 45 47 24. . 26. (11) 20. विस्तृत वाचना और छह आरों का स्वरूप 32 21. श्री महावीर प्रभु के सत्ताईस भव देवानन्दा ब्राह्मणी की कोख में वीर प्रभु का आगमन, देवानन्दा का स्वप्नदर्शन और ऋषभदत्त विप्र का स्वप्न-फल-कथन लक्षण किसे कहते हैं? लक्षण, व्यंजन, हस्तरेखा और मानोन्मान का स्वरूप - कार्तिक सेठ की कथा (शकेन्द्र के पूर्व भव से संबंधित), इन्द्र का महत्त्व, नमुत्थुणं के पाठ से इन्द्र द्वारा किया गया प्रभु-स्तवन मेघकुमार की कथा (प्रभु सारथी के समान हैं, इस पर) _ द्वितीय व्याख्यान शक्रेन्द्र के मन का संकल्प और दस अच्छेरे प्रभु का गर्भ परावर्तन और बलभद्र तथा मांधाता की पौराणिक कथा हरिणगमेषी देवकृत गर्भपरावर्तन और चंडादि चार महागतियों का योजन-परिमाण प्रभु का त्रिशला रानी की कोख में अवतरण और रानी द्वारा देखे गये स्वप्नों में से प्रथम चार स्वप्नों का विस्तृत वर्णन - तृतीय व्याख्यान पाँचवें से चौदहवें स्वप्न तक का विस्तृत वर्णन और सिद्धार्थ राजा द्वारा कहा गया चौदह स्वप्नों का सामान्य फल सिद्धार्थ राजा का (मल्लयुद्ध, तैलमर्दन, स्नान और सर्व श्रृंगार कर के) कचहरी में आगमन 104 संधिपाल की परीक्षा 107 33. स्वप्नपाठकों को आह्वान, उनका राजा के पास आगमन तथा निरंकुशनिर्नायक पाँच सौ सुभटों की कथा 109 ... चतुर्थ व्याख्यान 34. स्वप्नपाठकों का राजा को आशीर्वाद 114 स्वप्नों के भेद और त्रिशला रानी को आये हुये चौदह स्वप्नों का फल 31. पान 35.