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________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (117) उसका खून सूख जाता है। जो स्वप्न में स्वयं को रत्न, सुवर्ण या सीसे के ढेर पर चढ़ा हुआ देखता है, वह अवश्य ही समकित प्राप्त कर मोक्ष जाता है तथा जो स्वप्न में स्वयं को मदिराप्रमुख का घड़ा उठाये हुए देखता है, वह समकित प्राप्त कर दूसरे भव में मोक्ष जाता है। ____ अब त्रिशला माता ने जो चौदह स्वप्न देखे हैं, उनका फल इस प्रकार है- प्रथम स्वप्न में चार दाँत वाला हाथी देखने से यह पुत्र महापराक्रमी होगा तथा दान, शील, तप और भावरूप चार प्रकार के धर्म की प्ररूपणा करेगा। चौसठ इन्द्र तथा गजपति राजा आदि इसके चरणों की सेवा करेंगे।।१।। दूसरे. स्वप्न में वृषभ देखा। इससे तुम्हें धर्मधुरीण पुत्र होगा। भरतक्षेत्र में जैसे किसान वृषभ की सहायता से अनाज का बीज बोता है, वैसे ही यह पुत्र बोधरूप अनाज का बीज बोयेगा।।२।। तीसरे स्वप्न में सिंह देखा। इससे निर्भय तथा पराक्रमी, तीनों लोकों में अपनी आज्ञा का पालन करवाने वाला वह पुत्र होगा। जैसे सिंह श्वापद जीवों से विनष्ट होते हुए वन की रक्षा करता है, वैसे ही यह पुत्र भी सम्यक प्ररूपणारूप सिंह के द्वारा कुदृष्टि जो मिथ्यात्वरूप श्वापद जीव हैं, उनके द्वारा नष्ट होने वाले भव्य जीवरूप वन की रक्षा करेगा तथा मिथ्यात्वरूप आपदा से भव्य जीवों की रक्षा करेगा अथवा आठ कर्म और आठ मदरूप श्वापदों का नाश करेगा तथा तीन भुवन में अपनी आज्ञा मनवायेगा।।३।। चौथे स्वप्न में लक्ष्मीदेवी देखी। इससे वह तीन जगत की तीर्थंकरलक्ष्मी का भोक्ता होगा। याने कि वार्षिक दान दे कर दीक्षा का पालन कर केवलज्ञानरूप लक्ष्मी प्राप्त कर आठ प्रतिहार्य रूप तीर्थंकर की लक्ष्मी का उपभोग करेगा।।४।। पाँचवें स्वप्न में दो फूलमालाएँ देखीं। इससे वह सत्पुरुषों में पूज्यता प्राप्त करेगा। याने कि जैसे पुष्पगुच्छ मस्तक पर धारण किया जाता है, वैसे ही इसकी आज्ञा भी सब भव्य जीव मस्तक पर धारण करेंगे तथा दो मालाएँ देखीं, इसलिए एक श्रावक धर्म और दूसरा साधु धर्म ऐसे दो प्रकार के धर्म की प्ररूपणा करेगा।।५।। छठे स्वप्न में चन्द्रमा देखा। इससे वह सौम्यदर्शन वाला होगा, शीतल
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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