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________________ (84) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध माहणकुंड नगर में ऋषभदत्त ब्राह्मण की भार्या देवानन्दा की कोख में उत्पन्न हुए, यह आश्चर्य हुआ। तीर्थंकर, चक्रवर्ती, बलदेव और वासुदेव इनका यदि नीचगोत्रकर्मक्षय न हुआ हो, वेदन न किया गया हो, निर्जरित न हुआ हो तो वह कर्म उदय में आता है। उसके उदय से श्री अरिहंत, चक्रवर्ती, बलदेव और वासुदेव भी अन्तप्रान्त, तुच्छ, दरिद्रीप्रमुख कुल में आये, आते हैं और आयेंगे। कोख में गर्भ के रूप में उत्पन्न हुए हैं, होते हैं और होंगे; पर योनिमार्ग से जन्मरूप में निकलना सो तो कोई निकले भी नहीं, निकलते भी नहीं और निकलेंगे भी नहीं याने कि जन्मे भी नहीं, जन्मते भी नहीं और जन्मेंगे भी नहीं। ऐसी रीति है। ___ परन्तु भगवान श्री महावीरस्वामी माहणकुंड नगर में ऋषभदत्त ब्राह्मण की भार्या देवानन्दा की कोख में आये; यह आश्चर्यरूप है। इसलिए यह आचार है कि जिस समय में जो इन्द्र होता है, वह इन्द्र उस वक्त अरिहंत, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव यदि अन्तप्रान्त, तुच्छ, दरिद्रीप्रमुख यावत् ब्राह्मणकुल में आ कर उत्पन्न हुए हों; तो उन्हें अन्तप्रान्तादि मीच कुलों में से उठा कर उनका उग्र, भोग, राजन्य, क्षत्रिय, हरिवंश प्रमुख उत्तम कुलों में संहरण करे। उन्हें इन कुलों में ला कर रखे। उनका नीच कुल में जन्म होने न दे। यह सब तीनों कालों के इन्द्रों की मर्यादा है। इसलिए निश्चय से मैं भी भगवान श्री महावीरस्वामी को देवनन्दा ब्राह्मणी की कोख में से उठा कर ज्ञातक्षत्रिय सिद्धार्थ राजा, जिसका काश्यप गोत्र है, उसकी भार्या त्रिशला क्षत्रियाणी की कोख में गर्भरूप में रखू। . ऐसा उनके भाग्य के अनुसार सोच कर इन्द्र महाराज ने हरिणगमेषी नामक देव जो पैदल कटक का मालिक है; उसे बुला कर इस प्रकार कहा कि- हे देवानुप्रिय ! निश्चय ही यह बात हुई नहीं, होती नहीं और होगी भी नहीं कि श्री अरिहंतादिक शलाका पुरुष अन्त प्रान्तादि नीच कुलों में आये, आते हैं और आयेंगे। और यदि कोई नीच कुल में आता है, तो लोक में उसे अच्छेरा कहा जाता है। अनन्त उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी काल से यदि किसी अरिहन्तादिक के नीच गोत्र का क्षय न हुआ हो, वेदन-भोग न किया हो,
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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