________________ | नवमध्ययन / वर्णन.................... '371 194. किन-किन कारणों से पुरुष विनयान्वित नवमाध्ययनः द्वितीय उद्देश नहीं होता और विनय के अभाव 208. सब धर्मों का मूल एक मात्र विनय से उस पुरुष का किस प्रकार है इस विषय का दृष्टान्त द्वारा पतन होता है ................. 354 स्पष्टीकरण.................. 372 195. गुरुश्री की निन्दा करने वाले शिष्यों | 209. अविनय के दोषों का वर्णन ....... 374 का वर्णन.................. 356 | 210. अविनय से उत्पन्न होने वाले दुःखों 196. अग्नि की उपमा देकर गुरु की का दृष्टान्त द्वारा वर्णन तथा विनय आशातना न करने का उपदेश..... 357 से सुखप्राप्ति का वर्णन ......... 375 197. सर्प की उपमा देकर गुरु की आशा 211. जल सिञ्चित वृक्ष की भाँति विनयतना से पैदा होने वाले अनर्थों / शील का शिक्षाज्ञान वृद्धि को का वर्णन .................. 358 प्राप्त होता है ................. .380 . 198. गुरु की आशातना दृष्टि-विष सर्प 212. लौकिक फल के लिए गृहस्थ लोग से भी अधिक हानिकारक है ...... 359 दूसरों की विनय करते हुए 199. गुरु की आशातना के दृष्टान्तों और कितने कष्ट उठाते हैं ऐसा दार्शन्तिक में महान् अन्तर ........ 361 विचार करता हुआ लोकोत्तर 200. गुरु की आशातना करने वाले को लाभ के लिए गुरु की सेवा करने मोक्ष-प्राप्ति नहीं होती अतः का आग्रहपूर्वक उपदेश.......... 380 मोक्षाकांक्षी को चाहिए कि 213. प्रत्येक क्रिया में नम्रता लाने का वह गुरु को प्रसन्न करे.......... 364 उपदेश.................... 383 . 201. लौकिक दृष्टान्त द्वारा गुरु पूजा के . गुरु की उपधि से भी संघट्ठा हो महत्त्व का दिग्दर्शन ............ 365 जाने पर गुरु से क्षमा मांगनी 202. गुरु पूजा किस प्रकार करनी चाहिए..................... 384 चाहिए..................... 365 | 215. गलिया बैल की उपमा देकर दुर्बुद्धि ... 203. गुरु भक्ति करते हुए मन में कैसे शिष्य का लक्षण.............. 385 भाव रखने चाहिएं इस विषय | 216. गुरु का वचन सुनते ही आसन का वर्णन .................. 367 छोड़ कर पहले उनकी आज्ञा का 204. आचार्य को सूर्य तथा इन्द्र की उपमा 368 का पालन करे ............... 386 205. चन्द्रमा की उपमा द्वारा आचार्य की | 217. शिष्य को समयज्ञ तथा गुर्वाशयज्ञ . शोभा का वर्णन .............. 369 होने का उपदेश.............. 386 . 206. आचार्य को आकर (खान) की 218. विनय तथा अविनय के परिणाम.... 387 उपमा देकर उनकी निरन्तर 219. अविनीत पुरुष की अर्थ परम्परा सेवा करने का उपदेश.......... 370 का वर्णन .................. 388 207. उद्देश का उपसंहार करते हुए | 220. उद्देश का उपसंहार करते हुए विनय से मोक्ष की प्राप्ति का विनय से मोक्ष की प्राप्ति का वर्णन ... 389 / टोले हिन्दीभाषाटीकासहितम् / [विषय-सूची