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________________ 330 उपदेश....... 325 चाहिए इस विषय का वर्णन...... 338 164. रात्रि-भोजन का निषेध.......... 326 182. काय प्रणिधि के पश्चात् वचन 165. स्वल्प भिक्षा मिलने पर भी साधुको प्रणिधि विषयक वर्णन .......... 340 समभाव में स्थित रहने का उपदेश... 327 | 183. अहितकारिणी भाषा बोलने का 166. अहंकार के परित्याग का उपदेश .... 328 निषेध ..................... 340 167. यदि कभी जाने-अनजाने 184. साधु को कैसी भाषा बोलनी . कोई अकार्य हो जाए तो साधु चाहिए इस विषय का वर्णन ...... 341 को क्या करना चाहिए इस विषय का वर्णन .............. 328 | 185. बड़े भारी विद्वान् के भी वचन 168. आलोचना करते समय दोषों को न / स्खलित हो जाने पर उसकी छिपाने का उपदेश ............. 329 हँसी न उड़ाए................ 342 169. आचार्य महाराज की आज्ञा मानने 186. गृहस्थों को मन्त्र तन्त्रादि बताने का का उपदेश........... निषेध..................... 343 170. भोगों से निवृत्त होने का उपदेश .... 330 | 187. साधु के ठहरने योग्य स्थान 171. सब ओर विचार कर अपनी आत्मा का विषय.................. 343 को धर्म में नियुक्त करने का उपदेश .. 331 | 188. साधु को किन लोगों की संगति 172. धर्म करने का सबल उपदेश ....... 332 करनी चाहिए इस विषय का 173. कषायों के परित्याग का उपदेश ..... 333 वर्णन .................... 344 174. क्रोध आदि दोषों के क्या-क्या * 189. ब्रह्मचर्य के पतन के कारणों के न हानियाँ होती हैं इस विषय का होने देने का उपदेश तथा उन वर्णन.................... 333 कारणों का विस्तृत वर्णन और 175. क्रोध आदि चारों दोष कैसे नष्ट उनको दूर करने की विधि का किए जा सकते हैं ............. 334 प्रबल उपदेश................ 345 176. पूर्वोक्त चारों दोष ही संसार वृद्धि 190. जिन उत्तम विचारों से प्रव्रज्या ग्रहण के कारण हैं इस विषय का वर्णन .. 335 की थी उन्हीं विचारों से उसे 177. रत्नाधिक का विनय तथा स्वीकृत पालन करने का उपदेश......... 349 - सदाचार में दृढ़ता का विधान ...... 335 191. आचार प्रणिधि युक्त साधु किस 178. अधिक निद्रा तथा हास्यादि के प्रकार स्व तथा पर का रक्षक परित्याग का वर्णन करके साधु होता है .. होता है.................... 350 .को हर समय क्या करना चाहिए . . .. 336 | 192. आचार प्रणिधि युक्त साधु की 179. आलस्य के परित्याग का उपदेश .... 337 आत्मा किस प्रकार शुद्ध होती है 180. ज्ञान प्राप्ति के लिए गुरुजनों की सेवा करने का उपदेश.......... 338 सोदाहरण वर्णन .............. 351 | 193. आचार प्रणिधि युक्त साधु की मोक्ष181. गुरूजनों के पास किस प्रकार बैठना प्राप्ति का वर्णन ...... .............. 352 विषय-सूची] हिन्दीभाषाटीकासहितम् /
SR No.004497
Book TitleDashvaikalaik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAatmaramji Maharaj, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages560
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size12 MB
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