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________________ तथा वनस्पति आदि से युक्त आदिकी क्रियाएँ करे तो भिक्षा भिक्षा को न ले ............... 120 न ले..................... 140 56. साधु के निमित्त यदि भिक्षा देते जिस मार्ग में उल्लंघन करने के लिए हुए सचित्त पानी का संचलन लकड़ी का तख्ता या कोई शिला हो गया हो, तो भिक्षा न ले ....... 121 आदि रक्खी हुई हो तो भिक्षु 57. पूर्व कर्म युक्त व सचित्त जल से उस मार्ग से न जाए ............ 141 आर्द्र हाथों से भिक्षा न ले ........ 123 | 69. यदि भिक्षा देने के लिए गृहस्थ सीढ़ी 58. पश्चात्कर्म युक्त भिक्षा न ले ....... 125 तख्ता या स्टूल आदि लगाए 59. दो पुरुष अधिकृत वस्तुओं को बिना तो संभवनीय अनर्थों का वर्णन दोनों की आज्ञा के भिक्षुन ले..... तथा ऐसी भिक्षा लेने का निषेध.... 142 सगर्भा स्त्री के लिए बनाया हुआ . 70. कन्द मूल अदरक आदि जो सचित्त आहार उसके बिना खाए तथा हों उनको भिक्षु न ले.. ....... 144 भिक्षा के निमित्त उठती तथा बाज़ार में तिल पापड़ी गुड़ आदि बैठती हुई को जान कर भिक्षा वस्तुएँ जो विक्रयार्थ होती हैं नले.....................१२७-१२८ यदि सचित्त रज आदि से लिप्त स्तन-पान कराती हुई.स्त्री यदि हों तो भिक्षु उनको न ले ......... 144 बालक को रोता हआ छोड़कर | 72. ऐसी वस्तुएँ जिनमें सार पदार्थ कम भिक्षा दे तो न ले............. .129 निकले, भिक्षु न ले.......... 145-146 62. कल्पनीय तथा अकल्पनीय में शंका * तत्काल के धोवन जल के लेने का युक्त आहार न ले तथा बन्द : निषेध तथा स्वतः या पूछने पर किए हुए भोजन को खुलवा देर का धोवन निश्चित हो जाए कर भी न ले ............... 130-131 तो लेने का विधान ...........147-148 63. दान के लिए पुण्य के लिए वनीपक | 74. यदि जल के प्रकृति-अनुकूल तथा वा श्रमणों के लिए जो आहार प्रतिकूल विषय में शंका हो तो तैयार किया गया है उसे भिक्षु गृहस्थ से थोड़ा-सा लेकर चक्खे नले.................... 132-133 64. औद्देशिक आहार भिक्षुन ले तथा यदि जल तृष्णा को शान्त करने पूछने पर यदि भिक्षा निर्दोष वाला न हो तो न ले ............ 149 निश्चित ठहरे तो लेने का विधान..... | 75. भिक्षु की इच्छा न होने पर भी उक्त 65. यदि भिक्षा जीव सहित पुष्प बीज पानी भिक्षा में आ जाए तो उसे आदि से मिश्रित हो तो लेने न स्वयं पीए न अन्य को दे अपितु एकान्त स्थान में परिष्ठापन कर दे... 1 का निषेध.................. 137 66. यदि भिक्षा सचित्त जल अग्नि आदि 76. किसी कारण से भिक्षार्थ गया भिक्षु पर रक्खी हुई हो तो न ले........१३८-१३९ वहीं पर भोजन कर सकता है ..... 153 67. यदि भिक्षा देने के समय दाता अग्नि | 77. भोजन करते हुए यदि ग्रास में में ईंधन डालने या निकालने तिनका कंकर आदि आ जाए 12 136 विषय-सूची] हिन्दीभाषाटीकासहितम् / xlvii
SR No.004497
Book TitleDashvaikalaik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAatmaramji Maharaj, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages560
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size12 MB
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