________________ ... तद्यथा- हं भो दुःसमायां दुष्प्रजीविनः 1 लघुतरा इत्विरा गृहिणां कामभोगाः 2 भूयश्च स्वातिबहुला मनुष्याः 3 इदं च मे दुःखं न चिरकालोपस्थायि भविष्यति 4 अवमजनपुरस्कारः 5 वान्तस्य प्रत्यादानम् 6 अधरगतिवासोपसंपत् 7 दुर्लभः खलु भो ! गृहिणां धर्मः गृहवासमध्ये वसताम् 8 आतङ्कस्तस्य वधाय भवति 9 संकल्पस्तस्य बधाय भवति 10 सोपक्लेशो गृहवासः, निरुपक्लेशः पर्याय 11 बन्धो गृहवासः मोक्षः पर्यायः 12 सावधो गृहवासः, अनवद्य पर्यायः 13 बहु-साधारणा गृहिणां कामभोगाः 14 प्रत्येक पुण्यपापम् 15 अनित्यं खलु भो ! मनुजानां जीवितं कुशाग्रजलबिन्दुचंचलम् 16 बहु च खलु भो, पापं कर्म प्रकटम् 17 पापानां कृतानां कर्मणां पूर्वं दुश्चरितानां दुष्प्रतिक्रान्तानां वेदयित्वा मोक्षः, नास्त्यवेदयित्वा, तपसा वा क्षपयित्वा 18 अष्टादशं पदं भवति। भवति चात्र श्लोकः। पदार्थान्वयः-तंजहा-जैसे कि-हं भो-हे शिष्यो दुस्समाए-दुःषम काल में दुप्पजीवीदुःखपूर्वक जीवन व्यतीत किया जाता है 1, इस दुष्षम काल में गिहिणं-गृहस्थ लोगों के कामभोगाकामभोग लहुसग्गा-असार हैं एवं इत्तरिआ-अल्पकालीन हैं 2, भुजोअ-तथैव दुष्षमकालीन मणुस्सा-मनुष्य साइबहुला-विशेष छल-कपट करने वाले हैं 3, इमे अ-ये दुक्खे-दुःख मे-मुझे चिरकालो-वट्ठाई-चिरकालस्थायी न भविस्सइ-नहीं होंगे 4, ओमजण पुरकारे-संयम छोड़ देने पर नीच पुरुषों का सम्मान करना पड़ेगा 5, वंतस्स-वमन किए हुए विषय भोगों को पडिआयणंफिर पीना होगा 6, अहरगइ वा सोवसंपया-नीच गतियों के योग्य कर्म बाँधने होंगे 7, भो-हे शिष्यो ! खलु-निश्चय ही गिहवासमझे-गृहपाश में वसंताणं-बसते हुए गिहीणं-गृहस्थों को धम्मे-धर्म दुलहे-दुर्लभ है 8, आयंके-सद्योघाती विषूचिका आदि रोग से-उस धर्म रहित गृहस्थ के वहाय-वध के लिए भवइ-होता है 9, संकप्पे-प्रिय के वियोग और अप्रिय के संयोग से जो संकल्प उत्पन्न होता है, वह से-उस गृहस्थ के वहाय-विनाश के लिए भवइ-होता है 10, गिहवासे-गृहवास सोवक्केसे-क्लेश से युक्त है और परिआए-चारित्र निरुवक्केसे-क्लेश से रहित है 11, गिहवासे-गृहवास बंधे-कर्मों के बंधन का स्थान है परिआए-चारित्र मुक्खे-कर्म बन्धन से छुड़ाने वाला है 12, गिहवासे-गृहवास सावज-पाप स्थान है किन्तु परिआए-चारित्र अणवजेपाप से रहित है 13, गिहीणं-गृहस्थों के कामभोगा-काम भोग वहु साहारणा-चोर जार आदि हर किसी जन को साधारण हैं 14, पुण्ण पावं-पुण्य और पाप पत्तेअं- सब जीवों का पृथक् पृथक् प्रथमा चूलिका] हिन्दीभाषाटीकासहितम् / [445