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________________ बुद्धि नामक तीन वस्तुओं की अत्यधिक आवश्यकता है। जब तीनों वस्तु एकत्र हो जाएँ तो फिर वह कौन सा विषय है जो निर्णीत न हो सके। अर्थात्-इनसे सब पदार्थों का सुखपूर्वक निर्णय - किया जा सकता है। उत्थानिका-अब सूत्रकार चन्द्रमा की उपमा द्वारा आचार्य की शोभा वर्णन करते हैं:जहा ससी कोमुइजोगजुत्तो, नक्खत्ततारागण परिवुडप्पा। खे सोहई विमले अब्भमुक्के, एवं गणी सोहइ भिक्खुमज्झे॥१५॥ यथा शशी कौमुदीयोगयुक्तः, नक्षत्रतारागणपरिवृतात्मा / _खे शोभते विमलेऽभ्रमुक्ते, एवं गणी शोभते भिक्षुमध्ये॥१५॥ पदार्थान्वयः-जहा-जैसे कोमुइजोगजुत्तो-कौमुदी के योग से युक्त नक्खत्ततारागण परिवुडप्पा-नक्षत्र और ताराओं के समूह से परिवृत ससी-चन्द्रमा अब्भमुक्के-बादलों से रहित विमले-अत्यन्त निर्मल खे-आकाश में सोहई-शोभा पाता है एवं-इसी प्रकार गणी-आचार्य भिक्खुमझे-भिक्षुओं के मध्य में सोहइ-शोभता है। . मूलार्थ- जिस प्रकार कौमुदी के योग से युक्त तथा नक्षत्र और ताराओं के समूह से परिवृत चन्द्रमा, बादलों से रहित अतीव स्वच्छ आकाश में शोभित होता है; ठीक इसी प्रकार आचार्य भी साधु समूह में सम्यक्तया शोभित होते हैं। . टीका-इस काव्य में आचार्य को चन्द्रमा की उपमा से उपमित किया है। जिस प्रकार कार्तिकी पौर्णमासी की विमल रात्रि में बादलों के न होने से अतीव निर्मल आकाश में चन्द्रमा, नक्षत्र और नानाविध ताराओं के समूह से चारों ओर से घिरा हुआ शोभता है; ठीक उसी प्रकार गणाधिपति आचार्य भी भिक्षुओं के मध्य में शोभित होता है। सूत्र में जो 'कौमुदी योगयुक्तः''कार्तिक-पौर्णमास्यामुदितः' पद दिया है, उसका यह भाव है कि कार्तिक का महीना स्वभावतः ही शान्त और प्रिय होता है और फिर दिशाओं के अत्यन्त निर्मल हो जाने से चन्द्रमा अपनी अतीव शुभ्र किरणों द्वारा अन्धकाराच्छन्न वस्तुओं को प्रकाशित करता है, जिसके देखने से चित्त में आह्लाद उत्पन्न होता है; ठीक तद्वत् आचार्य भी साधुओं के बीच में विराजते हुए दर्शकजनों के चित्तों को आह्लादित करता है और अपने विशुद्ध श्रुतज्ञान द्वारा सब गूढ़ भावों को प्रकाशित करता है। 369 ] दशवैकालिकसूत्रम् [नवमाध्ययनम्
SR No.004497
Book TitleDashvaikalaik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAatmaramji Maharaj, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages560
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size12 MB
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