________________ वा, रण्णेवा, अप्पंवा, बहुं वा, अणुंवा, थूलं वा, चित्तमंतं वा, अचित्तमंतं वा, नेव सयं अदिनं गिण्हिज्जा,नेवऽन्नेहिं अदिन्नं गिण्हाविज्जा, अदिन्नं गिण्हंते वि अन्ने न समणुजाणामि, जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं, मणेणं, वायाए, काएणं, न करेमि, न कारवेमि, करंतंपि अन्नं न समणुजाणामि।तस्स भंते! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि। तच्चे भंते! महव्वए उवट्ठिओमि सव्वाओ अदिन्नादाणाओ वेरमणं॥३॥[सूत्र॥९॥] ___ अथापरस्मिस्तृतीये भदन्त ! महाव्रतेऽदत्तादानाद्विरमणम्। सर्वं भदन्त ! अदत्तादानं प्रत्याख्यामि। यथा ग्रामे वा, नगरे वा, अरण्ये वा, अल्पं वा, बहु वा, अणु वा, स्थूलं वा, चित्तवद्वा, अचित्तवद्वा, नैव स्वयमदत्तं गृह्णामि, नैवान्यैरदत्तं ग्राहयामि, अदत्तं गृह्णतोऽप्यन्यान् न समनुजानामि, यावज्जीवं त्रिविधं त्रिविधेन, मनसा, वाचा, कायेन, न करोमि, न कारयामि, कुर्वतोप्यन्यं न समनुजानामि। तस्य भदन्त! प्रतिक्रामामि, निन्दामि, गर्हे, आत्मानं व्युत्सृजामि। तृतीये भदन्त ! महाव्रते उपस्थितोऽस्मि सर्वस्माद-दत्तादानाद्विरमणम् // 3 // [सूत्र // 9 // ] पदार्थान्वयः-अहावरे-अब भंते-हे भदन्त! तच्चे-तृतीय महव्वए-महाव्रत के विषय में अदिन्नादाणाओ-अदत्तादान से वेरमणं-निवर्त्तना है भंते-हे भदन्त ! सव्वं-सब अदिनादाणं-अदत्तादान का पच्चक्खामि-प्रत्याख्यान करता हूँ से-जैसे कि गामे वा-ग्राम के विषय अथवा नगरे वा-नगर के विषय अथवा रणे वा-अटवी के विषय अथवा अप्पं वाअल्प मूल्य वाला पदार्थ अथवा बहुं वा-बहु मूल्य वाला पदार्थ अथवा अणुं वा-सूक्ष्म पदार्थ, अथवा थूलं वा-स्थूल पदार्थ अथवा चित्तमंतं वा-सचित्त पदार्थ अथवा अचित्तमंतं वा-अचित्त पदार्थ अदिन्नं-जो कि बिना किसी का दिया हुआ हो नेव सयं गिण्हिज्जा-मैं स्वयं ग्रहण नहीं करूँ अन्नेहिं-औरों से अदिन्नं-अदत्तादान को नेव गिण्हाविज्जा-ग्रहण न कराऊँ, और अदिन्नंअदत्तादान को गिण्हंते वि-ग्रहण करते हुए भी अन्ने-औरों को न समणुजाणामि-भला नहीं सम जावज्जीवाए-जीवन पर्यन्त तिविहं-त्रिविध तिविहेणं-त्रिविध से मणेणं-मन से वायाएवचन से काएणं-काय से न करेमि-न करूँ न कारवेमि-न कराऊँ करंतंपि-करते हुए भी अन्नं-औरों को न समणुजाणामि-भला न समझू तस्स-उस पापरूप दण्ड से भंते- हे भगवान्! दशवैकालिकसूत्रम् [चतुर्थाध्ययनम् 54]